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Sultanpur Lok Sabha Seat : अबकी बार किसके हाथ में जाएगी सुल्तानपुर की सियासी बागडोर? मेनका बनाएंगी रिकार्ड या चलेगी साइकिल

Sultanpur Lok Sabha Seat : उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट मेनका गांधी के चलते चर्चा में आ गई है. यह सीट वीवीआईपी तो नहीं है, लेकिन हॉट सीट जरूर है. आज हम आपको इस सीट के बारे में बता रहे हैं.

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Pankaj Soni
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Sultanpur Lok Sabha Seat : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मेनका गांधी को चुनावी मैदान में उतार दिया है. अब तक के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा 7 बार और बीजेपी उम्मीदवारों को 5 बार जीत मिली है. इस सीट से मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी सांसद रह चुके हैं. फिलहाल सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मेनका गांधी सांसद हैं. इस सीट से समाजवादी पार्टी ने भीम निषाद को मैदान में उतारा है.

इस सीट में अगर मेनका गांधी चुनाव जीतती हैं तो यह एक नया रिकार्ड बनेगा, क्योंकि बीजेपी के विश्वनाथ शास्त्री को छोड़ दे तो दूसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो इस सीट पर लगातार दूसरी बार सांसद बना हो.

सुल्तानपुर सीट का परिचय

सुल्तानपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें इसौली, सुल्तानपुर, सुल्तानपुर सदर, लम्भुआ और कादीपुर शामिल हैं. 2022 के विधानसभा चुनावव में यहां बीजेपी को 4 सीटों पर, समाजवादी पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद ताहिर खान इसौली से विधायक बने थे. वहीं सुल्तानपुर से विनोद सिंह, सुल्तानपुर सदर से राज प्रसाद उपाध्याय, लम्भुआ से सीताराम वर्मा और कादीपुर से राजेश गौतम विधायक निर्वाचित हुए थे. 

सुल्तानपुर सीट का जातीय समीकरण 

सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 80 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, जबिक 20 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. इस लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 21.29 फीसदी है. वहीं अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है. इस सीट पर मुस्लिम, राजपूत और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या भी काफी तादाद में है. ये वोटर्स इस सीट पर हार-जीत का समीकरण बनाते हैं.

लोकसभा सीट का इतिहास

सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस ने 8 बार जीत हासिल की है तो बीजेपी को 5 बार इस सीट पर जीत मिली है. बहुजन समाज पार्टी 2 बार और जनता दल 1 बार यहां अपना सांसद बनाने में कामयाब हुए हैं. यह सीट आजादी के बाद पहले आम चुनाव से अस्तित्व में है. पहले आम चुनाव 1951-52 में यहां से कांग्रेस के बीवी केसकर को जीत मिली थी. साल 1957 में कांग्रेस के गोविंद मालवीय और साल 1963 में कांग्रेस के कुंवर कृष्ण वर्मा यहां से जीते. साल 1967 में गणपत सहाय और साल 1971 में कांग्रेस के केदारनाथ सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की. 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के जुल्फिकारुल्ला यहां से जीते थे. 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस के गिरिराज सिंह और साल 1984 में कांग्रेस के राज करण सिंह ने जीत दर्ज की थी. 1989 आम चुनाव में जनता दल के राम सिंह को जीत मिली थी. 

सुल्तानपुर में पहली बाहर 1991 में जीती बीजेपी

सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को पहली बार साल 1991 में जीत मिली. तब यहां बीजेपी के विश्वनाथ दास शास्त्री सांसद बने थे. इसके बाद साल 1996 में बीजेपी के देवेंद्र बहादुर राय को जीत मिली. उन्होंने साल 1998 चुनाव में भी जीत हासिल की. लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद साल 1999 में बीजेपी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. 2004 में बीएसपी उम्मीदवार ताहिर खान को इस सीट पर जीत मिली. 

साल 2009 में कांग्रेस ने संजय सिंह यहां से चुनाव जीते. साल 2014 में पहली बार वरुण गांधी को बीजेपी ने इस सीट से उम्मीदवार बनाया. वरुण गांधी ने बीएसपी उम्मीदवार पवन पांडे को भारी अंतर से हराया. जबकि साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी के बदले उनकी मां मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया. मेनका गांधी ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

सुल्तानपुर सीट का वोटिंग पैटर्न

सुल्तानपुर लोकसभा सीट की एक खासियत यह है कि बीजेपी के विश्वनाथ शास्त्री को छोड़ दे तो दूसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो इस सीट पर लगातार दूसरी बार सांसद बना हो. यही वजह रही कि इस सीट पर किसी एक नेता का कभी दबदबा नहीं रहा है.

कौन हैं सपा के उम्मीदवार भीम निषाद?

सुल्तानपुर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भीम निषाद अंबेडकरनगर के रफीगंज के रहने वाले हैं. वह पेश से बिल्डर हैं और जलालपुर विधानसभा सीटट से चुनाव भी लड़ चुके हैं. एम तक पढ़े- लिखे भीम निषाद चौदह साल से पार्टी में सक्रिय हैं. वर्तमान में प्रदेश सचिव हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सुलतानपुर, अंबेडकरनगर और अयोध्या के निषाद वोटरों में पैठ बनाने के लिए भीम निषाद को मैदान में उतारा है.

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