झारखंड में विपक्षी भाजपा के कई नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी छोड़ दी है, जिसमें एक मौजूदा विधायक और तीन पूर्व विधायक शामिल हैं. इन नेताओं ने पार्टी की उम्मीदवार सूची से असंतोष व्यक्त किया है. उनकी शिकायतों में भाजपा द्वारा अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की बजाय अन्य दलों से आए नेताओं को तरजीह देना शामिल है. 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 13 और 20 नवंबर को होना है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी.
बीजेपी में शामिल होने वाले दलबदलुओं में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, उनके बेटे बाबूलाल सोरेन और लोबिन हेमब्रोम, गंगा नारायण, मंजू देवी, गीता कोरा, सीता सोरेन और रामचंद्र चंद्रवंशी जैसे अन्य लोग शामिल हैं. पूर्व विधायक लोइस मरांडी, कुणाल सारंगी और लक्ष्मण टुडू समेत कई भाजपा सदस्य सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो ) में शामिल हो गए. इससे पहले, तीन बार के भाजपा विधायक केदार हाजरा और आजसू पार्टी के उमाकांत रजक भी सत्तारूढ़ पार्टी में ज्वाइन कर ली है.
वहीं अब इस मामले में झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सह-प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असंतोष को कमतर आंकते हुए कहा कि किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी में कुछ असंतोष पैदा होना स्वाभाविक है. हिमंत ने आगे कहा कि वे असंतुष्ट नेताओं से मिलेंगे.
वहीं जुलाई में BJP से इस्तीफा देने वाले सारंगी ने अपनी निराशा साझा करते हुए कहा, 'भाजपा में किसी ने भी मुझे फोन करने की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने मुझे लोकसभा चुनाव के दौरान जमशेदपुर सीट के लिए चुना था लेकिन टिकट नहीं दिया गया. यह एक बुनियादी शिष्टाचार है कि वे मुझे फोन करते हैं. इससे मुझे बहुत दुख हुआ, खासकर तब जब मैं विदेश में एक अच्छी नौकरी छोड़कर समाज की सेवा करने के लिए भारत आया.'
पूर्व मंत्री मरांडी ने अपने जाने पर कहा, '2014 में भाजपा ने दुमका में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, जिसे झामुमो का गढ़ माना जाता था लेकिन इसने उन महिलाओं को सम्मान दिया, जिन्हें बाहर से पार्टी में लाया गया था, न कि उन महिलाओं को जिन्होंने अपना पूरा जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया.'
बता दें कि साल 2019 में जमुआ सीट जीतने वाले हाजरा ने भाजपा के लिए अपनी लंबी सेवा के बावजूद उपेक्षित महसूस किया और कांग्रेस विधायक के भाजपा में शामिल होने और टिकट मिलने के बाद पाला बदलने का फैसला किया. 2014 में घाटशिला में झामुमो के रामदास सोरेन को हराने वाले टुडू भी भाजपा के भीतर 'अलग-थलग' महसूस करते थे.