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India Daily

बिहार के सीमांचल में मुस्लिम आबादी बढ़ने से लोग चिंतित! देश की सुरक्षा से कौन कर रहा खिलवाड़?

बिहार के सीमांचल में बढ़ती मुस्लिम आबादी और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रभावित कर रही है. इस स्थिति का परिणाम भारत की एकता और अखंडता के लिए गंभीर हो सकता है, खासकर जब देशविरोधी ताकतों को पनपने का मौका मिल रहा हो.

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Edited By: Mayank Tiwari
बिहार के सीमांचल में देश की अखंडता से कौन कर रहा है खिलवाड़
Courtesy: Social Media

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या का पैटर्न तेजी से बदल चुका है. इस बदलाव का मुख्य कारण मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बढ़ता प्रभाव है. खासकर किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों में मुसलमानों की आबादी में वृद्धि ने इलाके की जनसांख्यिकी में गहरी खाई पैदा कर दी है. यह स्थिति बिहार की राष्ट्रीय अखंडता और सामाजिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 1951 से 2011 के बीच बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी में 16% की वृद्धि हुई है. वर्तमान में, यह संख्या करीब 40% से 70% तक पहुंच चुकी है. विशेष रूप से किशनगंज में मुसलमानों की जनसंख्या सबसे अधिक है. इस बदलाव के परिणामस्वरूप, यहां की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर राजनीति का रुख पूरी तरह बदल चुका है. इंडिया ब्लॉक और उसके सहयोगी दल, जैसे आरजेडी और कांग्रेस, सीटों के लिए एक-दूसरे से मुकाबला कर रहे हैं, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम का भी यहां प्रभाव बढ़ चुका है.

मुस्लिम तुष्टिकरण और बिहार की राजनीति

बिहार की राजनीति में मुस्लिम तुष्टिकरण की एक लंबी परंपरा रही है, जो विशेष रूप से लालू यादव और उनकी पार्टी आरजेडी के शासनकाल के दौरान बढ़ी है. जब भी राज्य में आरजेडी का प्रभाव बढ़ा, मुसलमानों को खुश करने के लिए उनके द्वारा कई कदम उठाए गए. इसका एक उदाहरण उस समय सामने आया जब लालू यादव की पत्नी रबड़ी देवी ने एक मुस्लिम धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया और पार्टी के अन्य नेता भी इसमें शामिल हुए.

बिहार और पाकिस्तान के संबंध

इतिहास में बिहार के मुसलमानों का योगदान भारत की एकता के लिए संकटपूर्ण रहा है. विभाजन के समय बिहार के मुसलमानों ने पाकिस्तान बनाने के लिए समर्थन दिया था. पाकिस्तान के सिंध प्रांतीय विधानसभा के सदस्य सैयद एजाज उल हक ने एक बयान में कहा था कि "हम बिहारी मुसलमानों ने गर्व से भारत के विभाजन में योगदान दिया था." यह बयान बिहार के मुस्लिम समुदाय के पाकिस्तान के प्रति रिश्ते को और स्पष्ट करता है.

आरजेडी और हिंदू विरोध

हाल ही में, आरजेडी ने हिंदू देवताओं और मंदिरों के खिलाफ विवादित बयान दिए. 2 जनवरी 2024 को, रबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया गया था जिसमें लिखा था, "मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी." इस पोस्टर पर राजद के नेताओं की तस्वीरें और विधायक फतेह बहादुर सिंह का नाम भी था, जो हिंदू देवताओं के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियों के लिए कुख्यात हैं.