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बिना शराब पिए ही नशे में आ गई महिला, आखिर क्या है ये Auto-Brewery Syndrome?

Health News: कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन जर्नल ने एक महिला को लेकर रिपोर्ट पेश की जिसमें वो बिना शराब पिए ही नशे में रहती है. आइये जानें क्या है ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) जिस कारण महिला को ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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Edited By: India Daily Live
Auto-Brewery Syndrome
Courtesy: Social Media

Health News: अगर आपके सामने कोई लड़खड़ाता है और उसके मुंह से शराब की गंध आती है तो जाहिर सी बात है कि आप ये मानकर चलेंगी की उसने शराब पी रखी है. हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है की उसने शराब पी रखी हो. ऐसे कई मामले दुनिया में हैं. इन्ही में से एक को लेकर कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में लेख लिखा गया है. लेख के अनुसार एक महिला को बार-बार चक्कर आ जाते हैं. जबकि, वो शराब का सेवन करती ही नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार, एक 50 साल की महिला को बिना शराब पिए ही नशा होता है और गिर पड़ती है. ऐसा उसके साथ एक दो नहीं कई बार हो गया है. दरअसल उसे ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) नाम की बीमारी या समस्या है. जिस कारण उसके पेट में खुद अल्कोहल बन जाता है. आइये जानें ये समस्या क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome)

ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम को एक बेहद दुर्लभ बीमारी है. इसमें शरीर में खुद ही अल्कोहल बनने लगता है और इंसान नशे में हो जाता है. इसे 'गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम' भी कहा जाता है. इसमें व्यक्ति के जठराग्नियों में मौजूद फंगी, कार्बोहाइड्रेट्स को माइक्रोबैक्टीरिया फर्मेंटेशन करने लगते हैं. इस फर्मेंटेशन के जरिए पेट में अल्कोहल बनने लगता है. जिससे बिना शराब पिए ही इंसान को शराब का नशा होने लगता है.

जीवन के लिए है खतरा

टोरंटो विश्वविद्यालय के डॉ. राहेल ज़ेवुड ने के अनुसार महिला का शराब का स्तर 30 मिली मोल प्रति लीटर से 62 मिली मोल प्रति लीटर के बीच हो सकता है. ये किसी भी शरीर में 2 किलो मोल प्रति लीटर से बेहद ज्यादा है. 62 मिली मोल प्रति लीटर तक का अल्कोहल स्तर असाधारण रूप से उच्च है और जीवन के लिए खतरनाक है.

कैसे होती है समस्या?

जब महिला इलाज के लिए पहुंची तो डॉक्टरों ने उसे कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार लेने की सलाह दी. कुछ समय में देखने को मिला कि उसके लक्षण ठीक हो गए. चार महीने तक लगातार कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार लेने पर लक्षण गायब ही हो गए. हालांकि, जब 6 महीने बाद महिला ने कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाना शुरू किया तो उसे फिर से समस्या होने लगी.

खतरे में रहते हैं ये लोग

इस समस्या का खतरा कमजोर इम्युनिटी, डायबिटीज, आंत की बीमारी या मोटापे की समस्या से परेशान लोगों को रहती है. इसके अलावा इसके रडार में वो लोग भी होते हैं जिनकी फैमली हिस्ट्री एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज या अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज होता है. ऐसे लोगों को इथेनॉल पचाने में परेशानी होती है जिस कारण शरीर में शराब बनने लगती है.

क्या है इसका इलाज?

ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम में कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन में कमी करने की बात की जाती है. इसके साथ ही कुछ डॉक्टर प्रोबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयां देते हैं. इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव इसका एक इलाज है. रोजाना एक्सरसाइज और स्ट्रेस में कमी से इसमें सुधार किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए कोई खास टेस्ट नहीं है लेकिन ऐसी समस्या होने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए.