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India Daily

ताजे फल, सब्जियां छोड़ प्रोसेस्ड फूड पर पैसा उड़ा रहे इंडियंस, स्वास्थ्य पर हो रहा घातक असर; सर्वे में हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा

इस सर्वे में यह पाया गया कि अब भारतीय परिवारों का अधिकांश खर्च पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर हो रहा है, जो ताजे फल और सब्जियों से कहीं अधिक है. सर्वे बताता है कि भारतीय अब सुविधाजनक खाद्य पदार्थों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Indians are spending more money on processed food instead of fresh fruits and vegetables Survey

भारत में आहार संबंधी आदतें तेजी से बदल रही हैं और अब भारतीय ताजे फल, सब्जियों या अंडें की बजाय प्रोसेस्ड फूड्स और पैकेज्ड बेवरेजेस खरीदने पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं. इस बदलाव ने स्वास्थ्य, पोषण और जीवनशैली को लेकर चिंता का कारण बना दिया है. एक नए सर्वे में यह खुलासा हुआ है, जो यह बताता है कि भारतीय अब सुविधाजनक खाद्य पदार्थों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं.

प्रोसेस्ड फूड्स पर ज्यादा खर्च

भारत सरकार के मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए "हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडीचर सर्वे 2023-24" के अनुसार, भारतीय परिवार अब ताजे खाद्य पदार्थों की तुलना में प्रोसेस्ड फूड्स और पेय पदार्थों पर अधिक खर्च कर रहे हैं. इस सर्वे में यह पाया गया कि अब भारतीय परिवारों का अधिकांश खर्च पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर हो रहा है, जो ताजे फल और सब्जियों से कहीं अधिक है.

सर्वे के मुताबिक, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भारतीय परिवारों ने प्रोसेस्ड फूड्स और पेय पदार्थों पर अधिक खर्च किया. यह दिखाता है कि भारतीयों की आहार संबंधी आदतें अब अधिक सुविधा और तत्काल संतुष्टि पर आधारित हो रही हैं.

प्रोसेस्ड फूड पर 10% खर्च कर रहे ग्रामीण
सर्वे में 2.61 लाख परिवारों को शामिल किया गया, जिनमें से 1.54 लाख ग्रामीण क्षेत्रों से और 1.07 लाख शहरी क्षेत्रों से थे. सर्वे के अनुसार, ग्रामीण भारत में परिवार अपने मासिक खर्च का 47% हिस्सा खाद्य पदार्थों पर खर्च करते हैं, जिसमें से 10% प्रोसेस्ड फूड्स और पेय पदार्थों पर जाता है. यह खर्च ताजे फल (3.85%), सब्जियों (6.03%), अनाज (4.99%) और मांसाहारी उत्पादों (4.92%) से कहीं अधिक है.

शहरी भारत में भी एक समान रुझान देखने को मिला है, जहां 39% मासिक खर्च खाद्य पदार्थों पर जाता है, और इसमें से 11% खर्च पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड्स पर होता है, जो ताजे फल (3.87%), सब्जियों (4.12%), अनाज (3.76%) और मांसाहारी उत्पादों (3.56%) से कहीं अधिक है.

स्वास्थ्य पर पड़ रहे हैं घातक असर
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोसेस्ड फूड्स और चीनी युक्त पेय पदार्थों पर बढ़ता खर्च, गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) जैसे मधुमेह, मोटापा और हृदय रोगों के बढ़ते बोझ का कारण बन रहा है. बेंगलुरु के ऐस्टर व्हाइटफील्ड अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. बसवराज एस कुम्बार ने कहा, "भारत की पारंपरिक खाने की आदतें पश्चिमी जीवनशैली की ओर बदल रही हैं. चीनी युक्त पेय पदार्थ आम हो रहे हैं, जबकि फल और सब्जियों का सेवन घट रहा है. इससे कैलोरी का सेवन बढ़ रहा है, लेकिन आवश्यक पोषक तत्व कम मिल रहे हैं, जो स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं." इसके अलावा, शारीरिक गतिविधि की कमी भी इन स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रही है, खासकर 20 से 40 वर्ष की आयु के लोगों में.

गैर-संक्रामक बीमारियों का बढ़ता संकट
"लांसेट" द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2022 में भारत में दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज के रोगी थे, जिनमें से लगभग 62% का इलाज नहीं हो रहा था. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम गोयल ने इस बढ़ते संकट को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा, "गैर-संक्रामक बीमारियां भारत में एक महामारी के रूप में उभर रही हैं. तनाव, गतिहीन जीवनशैली और खराब आहार जैसे प्रोसेस्ड फूड्स और चीनी युक्त पेय पदार्थों का नियमित सेवन, इस स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं."

समाधान की आवश्यकता
इस समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया है. इसमें बच्चों को अस्वस्थ खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग पर सख्त नियम, चीनी युक्त पेय पदार्थों पर उच्च कर और समुदाय-स्तरीय स्वास्थ्य इंटरवेंशन्स शामिल हैं.

डॉ. गोयल ने परंपरागत आहार की ओर लौटने की सलाह दी, जैसे ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाना. उन्होंने यह भी कहा, "हमें चीनी युक्त पेय पदार्थों को दूध, लस्सी या ताजे रस से बदलने की आवश्यकता है, जिससे स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा."

भारत सरकार के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मई 2024 में नए आहार निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया कि भारत की कुल बीमारी का 56.4% हिस्सा अस्वस्थ आहार से जुड़ा हुआ है. इन निर्देशों में नमक और चीनी के सेवन को सीमित करने, तेल और वसा का सेवन संयमित करने, नियमित शारीरिक गतिविधि और अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन को घटाने की सिफारिश की गई है.