नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई नीति शास्त्र विभिन्न विषयों पर उपदेश देने के साथ-साथ लोगों का मार्गदर्शन भी करती रहती है. चाणक्य नीति व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए लोगों को मार्गदर्शन देती है. इस नीति शास्त्र में कई अहम नीतियां हैं जो व्यक्ति को सफलता की ओर अग्रसर करती हैं. नीति शास्त्र में चाणक्य ने कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताया है जिनके कारण धीरे-धीरे दरिद्रता का वास होता है और व्यक्ति धीरे-धीरे दरिद्र हो जाता है. चलिए आज आपको बताते हैं कि वे बुरी सी आदतें हैं जिन्हे आपको तुरंत त्याग देना चाहिए.
आलस्य को तुरंत त्याग देना चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार आलस्य एक बुरी आदत है, जो व्यक्ति को कभी भी सफल नहीं होने देती है. आपको किसी भी कार्य में आलस्य नहीं करना चाहिए. अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको आलस्य को त्यागना होगा.
कड़वा बोलने से लोगों को बचना चाहिए
चाणक्य के अनुसार जो लोग कड़वा बोलते हैं, उनसे मां लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं रहती हैं. इसलिए कड़वा बोलने की आदत को त्याग देना चाहिए और हमेशा मीठा बोलना चाहिए. कड़वा वाणी बोलने के चलते व्यक्ति के संबंध खराब हैं और इसके साथ ही वह कंगाल भी हो जाता है.
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए
चाणक्य के अनुसार गंदगी में रहने वाले लोग या वैसे लोग जो स्वच्छ वस्त्र धारण नहीं करते हैं उनमें दरिद्रता का वास होता है. इसलिए इस खराब आदत को जल्द से जल्द त्याग देना चाहिए और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए.
अनुचित खर्च करने से बचना चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार अनुचित खर्च करना व्यक्ति को गरीब बनाता है. इसलिए अपनी आवश्यकताओं को पहचानने और संयम से खर्च करने की जरूरत है.
सूर्यास्त के बाद कभी नहीं सोना चाहिए
चाणक्य के अनुसार जो लोग शाम के वक्त सोते हैं वह दरिद्र रहते हैं. शाम के समय सोने वाले लोगों पर मां लक्ष्मी कभी खुश नहीं होती हैं.