US Military Deployment: डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य तैनाती से बढ़ीं अटकलें, चीन को साधने की रणनीति या कुछ और? जानें पूरा मामला
US Military Deployment: डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सेना की नई और बड़ी तैनाती को दिखाने वाली उपग्रह छवि सामने आई है. यह कदम चीन के प्रभाव को संतुलित करने और ईरान से उपजे तनावों के बीच उठाया गया रणनीतिक प्रयास माना जा रहा है. डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में अमेरिका का अहम सैन्य बेस है जिससे वह मध्य-पूर्व और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति प्रक्षेपण करता है.

US Military Deployment: हिंद महासागर के सुदूर द्वीप डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सेना की बड़ी तैनाती को दर्शाने वाली एक नई उपग्रह छवि सामने आई है, जिससे क्षेत्रीय तनाव के बीच अमेरिका की रणनीतिक गतिविधियों को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। यह छवि अमेरिकी वायुसेना के जंगी विमानों, सैन्य उपकरणों और बुनियादी ढांचे में हुए हालिया विस्तार को दर्शाती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तैनाती अमेरिका द्वारा चीन की बढ़ती हिंद महासागर उपस्थिति और ईरान से उपजे ताजा तनावों के मद्देनजर की गई रणनीतिक चाल हो सकती है। डिएगो गार्सिया, जो ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित है, अमेरिका का एक अत्यंत संवेदनशील और रणनीतिक सैन्य बेस है जिसका उपयोग दशकों से मध्य-पूर्व, अफगानिस्तान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्रों में सैन्य अभियानों के लिए किया जाता रहा है।
हिंद महासागर क्षेत्र में कड़ा संदेश देने की कोशिश
यह तैनाती ऐसे समय में सामने आई है जब जून की शुरुआत में अमेरिकी और इजरायली बलों द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों को लेकर सख्त प्रतिक्रियाएं देखी गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि डिएगो गार्सिया से अमेरिकी बमवर्षक विमानों की तैनाती और मिसाइल सिस्टम का विस्तार, ईरान को चेतावनी देने के साथ-साथ चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में कड़ा संदेश देने की कोशिश भी हो सकती है।
दीर्घकालिक योजना का हिस्सा
सेना से जुड़े विश्लेषक मानते हैं कि डिएगो गार्सिया पर हो रही यह गतिविधि केवल ईरान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चीन की रणनीतिक बंदरगाहों और समुद्री व्यापार मार्गों पर पकड़ को चुनौती देने की एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा हो सकती है।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सैन्य शक्ति
हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस सैन्य तैनाती पर कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह गतिविधि अमेरिका की उस "फॉरवर्ड प्रजेंस" नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह अपने वैश्विक हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सैन्य शक्ति बनाए रखना चाहता है। इस बीच, चीन और ईरान की सरकारों ने अब तक इस नई सैन्य तैनाती पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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