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India Daily

लंदन में बंद होने जा रहा है 'द इंडिया क्लब' रेस्त्रां, यादों में रहेगा स्वाद

लंदन में रह रहे प्रवासी भारतीय के लिए 'द इंडिया क्लब' का विशेष महत्व रहा है. लेकिन ये क्लब अब बंद होने जा रहा है.

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Gyanendra Sharma
लंदन में बंद होने जा रहा है 'द इंडिया क्लब' रेस्त्रां, यादों में रहेगा स्वाद

नई दिल्ली: लंदन में रह रहे प्रवासी भारतीय के लिए 'द इंडिया क्लब' का विशेष महत्व रहा है. परदेश में जब अपने घर के खाने और रिश्तेदारों की याद आती है तो लोग ऐसे ठिकाने की तलाश करते हैं जहां अपनापन महसूस हो. 'द इंडिया क्लब' दशकों से लंदन में एशियाई समुदाय के लोगों के लिए ऐसा ही ठिकान रहा है. ये रेस्त्रां मध्य लंदन की व्यस्त सड़क पर होटल स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल के अंदर मौजूद है. जोकि अब बंद होने जा रहा है.

इसे 1950 में लंदन आने वाले शुरुआती प्रवासी भारतीयों की मुलाक़ात और आपसी जुड़ाव की एक जगह के तौर पर स्थापित किया गया था, लेकिन अब यह इंडिया क्लब बंद होने जा रहा है क्योंकि इसके मालिक एक आधुनिक होटल के निर्माण के लिए इस इमारत के एक हिस्से को ढहाना चाहते हैं. कई लोग इस ख़बर से दुखी हैं क्योंकि इस क्लब के बंद होने से यह शहर अपने इतिहास का एक हिस्सा खो देगा.

इसके बंद होने की खबर से दुखी हैं लोग

इसके मालिकों, यादगर मार्कर और उनकी बेटी फ़िरोज़ा ने इसे बचाने के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन वो इसे बचाने में नकाम रहे. फ़िरोज़ा बताती हैं कि जब हमने लोगों से इसके बंद होने के बारे में बताया तो वे काफी दुखी हुए. 17 सितंबर को ये बंद हो जाएगा. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि, "हम बंद ज़रूर हो रहे हैं लेकिन पास में ही एक नई इमारत भी देख रहे हैं ताकि इसे वहां ले जाएं.

कहा जाता है कि शुरू में इस क्लब को भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों ने मीटिंग के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन बाद में यह दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों के लिए खाने की मेज़ पर और आयोजनों के दौरान अपने मित्रों से मुलाक़ात की जगह बन गई. 1950 और 1960 के दशक में यह ऐसी एकमात्र जगह थी जहां भारतीय अपने यहां का खाना खाने और अपने देश की भाषा बोलने वालों से मिल सकते थे.

याद रहेगा स्वाद

द इंडिया क्लब में सभी भारतीय व्यंजन मिलते हैं. यहां दक्षिण भारत का डोसा-सांभर, उत्तर भारत का बटर चिकेन के साथ पकौडे, फेमस स्ट्रीट फूड मिलते थे. मसाला चाय के लिए लोग दूर से आते थे. यहां तक कि इस क्लब के अंदर के हिस्से को भी आज़ादी के पहले की कॉफ़ी शॉप की तरह डिजाइन किया गया था. हाथों में चाय और सिगरेट लिए लोग देश-दुनिया की बातें करते थे. वहीं क्लब में लगे झूमर, फॉर्मिका टेबल और सीधी पीठ वाली कुर्सियां 70 साल बाद आज भी बहुत हद तक पहले जैसी हैं.