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Oxford का 'काला सच': ऑक्सफोर्ड की पहली भारतीय अध्यक्ष Rashmi Samant का खुलासा, प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में कैसे होता है भारतीय छात्रों के साथ बर्ताव

Oxford University Dark Side: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पहली भारतीय अध्यक्ष रश्मि सामंत ने अपनी किताब 'ए हिंदू इन ऑक्सफोर्ड' में बताया कि कैसे उनके प्रोफेसरों ने उनकी जाति और धर्म का मजाक उड़ाया, और कैसे उन्हें समाज में समानता के मुद्दे पर चुप कराने की कोशिश की. सामंत ने भारतीयों के साथ होने वाली हिंसा, हेट स्पीच, और भेदभाव के मामलों पर प्रकाश डाला है.

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Antriksh Singh
Oxford का 'काला सच': ऑक्सफोर्ड की पहली भारतीय अध्यक्ष Rashmi Samant का खुलासा, प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में कैसे होता है भारतीय छात्रों के साथ बर्ताव

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) का नाम दुनिया में बहुत बड़े सम्मान और प्रतिष्ठता के साथ लिया जाता है. भारत की रश्मि सामंत (Rashmi Samant) ने ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन (SU) की पहली भारतीय अध्यक्ष चुनी जाकर यहां इतिहास रचा है. इतिहास बनाने के बाद उन्होंने अब एक ऐसी किताब लिखी है, जिसमें दुनिया भर में चर्चित इस संस्थान के काले पक्ष को भी सामने लाया गया है.

'ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदुओं की स्थिति'

'ए हिंदू इन ऑक्सफोर्ड' शीर्षक वाली अपनी बुक में, सामंत ने विश्वविद्यालय में अपने प्रोफेसरों द्वारा कथित रूप से निशाना बनाए जाने के अपने भयानक अनुभव का विस्तार से वर्णन किया है. उन्होंने दावा किया कि उनके अध्यक्ष पद पर उनकी धार्मिक और जातीय पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए सवाल उठाए गए.

'ऑक्सफोर्ड में भारतीय छात्रों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है'

सामंत ने कहा कि "भारतीय छात्रों" को बहुत भेदभाव और घृणा का सामना करना पड़ता है, जिसके बारे में सार्वजनिक रूप से खुलकर चर्चा नहीं की जाती है और न ही पीड़ितों को सार्वजनिक क्षेत्र में अपनी बात उजागर करने के लिए कोई मंच नहीं दिया जाता है.

ANI के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि जब उन्होंने फरवरी 2021 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन उन प्रोफेसरों और अधिकारियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए गए.

'भारतीय ही भारतीयों के दुश्मन'

असल में उनकी उत्तराधिकारी एक और भारतीय अवनी भूटानी ने कहा था कि सामंत को राष्ट्रीयता और जातीयता के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. ऐसे में सामंत का मामला कमजोर पड़ गया. ऐसे में सामंत ने अवनी को महज भारतीय दिखने वाली और अंदर से अंग्रेज शख्सियत करार दिया है.

उन्होंने कहा, "अवनी कैंपस में उस आंदोलन के साथ अन्याय कर रही हैं, जिसमें किसी और के दर्द को कम करके आंका गया है."

उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान भी हमने भारतीय मूल के बहुत से लोगों को देखा, जो अंग्रेजों का बचाव करते थे. वे बस झूठ बोल रहे हैं और अंग्रेजों की उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए कुछ भी कर रहे हैं.

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क्या ऋषि सुनक के तहत बदलेगी नस्लवाद की तस्वीर?

सवाल है कि क्या ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के अंदर में क्या भारतीय बिना नस्लवाद के उज्जवल भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं.

इस पर सामंत ने कहा, "हमारे लोग लड़ाके हैं और सुनक भी गंभीर बाधाओं को पार करने के बाद प्रधान मंत्री बने हैं. वे अब लोगों के पूर्ण समर्थन के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. हमारे लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है और उनसे हमेशा भेदभाव किया जाता है. लेकिन हम रोने की जगह अपनी लड़ाई लड़ेंगे."

पीएम मोदी को बताया वर्ल्ड लीडर

वहीं, सामंत ने इंटरनेशनल लेवल पर छोटे देशों को तवज्जों दिए जाने के लिए गंभीर प्रयास दिखा रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि पीएम ऐसा करके वर्ल्ड लीडर बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजनीति में शामिल होने पर विचार करेंगी, उन्होंने कहा कि उनके जीवन में सेवा का सर्वोच्च महत्व है और वह किसी भी भूमिका में लोगों की सेवा करने में खुश होंगी.

उन्होंने आगे कहा, "मुझे इसे किसी भी तरह से करने में कोई आपत्ति नहीं है, एक लेखक, कमेंटेटर, इसके बारे में लिखना, इसके बारे में बोलना. मेरे लिए यही सर्वोपरि है."