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पहले मुर्गी आई या अंडा? वैज्ञानिकों ने किया सदियों पुरानी बहस को सुलझाने का दावा, जानिए आप कितने सही थे?

Science News: बचपन से आप एक सवाल जरूर सुनते आए होंगे. ये सवाल है पहले मुर्गी आई या अंडा? इस सवाल का जवाब आपको जितना आसान लग रहा है उतना है नहीं. वैज्ञानिकों ने इस पहले को सुलझा लिया है. आइए जानते हैं कि आप इस सवाल के जवाब में कितने सही थे.

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Edited By: India Daily Live
Science News
Courtesy: Social Media

Science News:  पहले मुर्गी आई या अंडा? ये सवाल तो आपने सुना ही होगा. अपने हिसाब से इसका जवाब भी दिया होगा. लेकिन अब इस पहेली को वैज्ञानिकों ने साइंटफिक तरीके से सलुझा लिया है. इस पहेली को लेकर वैज्ञानिक भी परेशान थे. लेकिन आखिरकार उन्हें इस पहले का जवाब मिल ही गया. आइए जानते हैं कि पहले अंडा आया या मुर्गी.

जेनेवा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि मादा प्रजनन कोशिकाओं - अंडों - के बनने की प्रक्रिया मुर्गियों के विकास से काफी पहले शुरू हुई थी. उन्होंने एक एककोशकीय जीव 'क्रोमोस्फेरा पर्किंसकी' का अध्ययन किया, जिसे 2017 में हवाई के समुद्री तलछट में खोजा गया था. मुर्गी के पृथ्वी पर सबसे पुराने निशान एक अरब साल से भी अधिक पुराने माने गए हैं, जो जानवरों के पहले आने से बहुत पहले के हैं.

शोध में हुआ खुलासा

शोधकर्ताओं ने देखा कि यह जीव बहुकोशकीय संरचनाएं बनाता है, जो जानवरों के भ्रूण (एम्ब्रियो) से काफी मिलती-जुलती हैं. उनका कहना है कि यह खोज संकेत देती है कि भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक अनुवांशिक संरचनाएं, जिनसे एक निषेचित अंडा भ्रूण में बदलता है, जानवरों के जीवन से पहले ही मौजूद थीं.

उन्होंने समझाया कि प्रकृति के पास ‘अंडे बनाने’ के लिए जरूरी अनुवांशिक उपकरण पहले से ही थे, मुर्गी बनने से काफी पहले. लेखक ओमाया डूडिन ने बताया, "हालांकि क्रोमोस्फेरा पर्किंसकी एक एककोशकीय जीव है, इसका व्यवहार दिखाता है कि बहुकोशकीय समन्वय और विभेदन की प्रक्रियाएं इस प्रजाति में पहले से ही मौजूद थीं, जब पृथ्वी पर पहला जानवर भी नहीं आया था."

30 करोड़ साल पहले आया था अंडा

पिछले शोध में यह भी पाया गया है कि कठोर खोल वाले अंडे, जैसे कि मुर्गियों के अंडे, लगभग 30 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आए. अध्ययन की प्रमुख लेखिका मरीन ओलिवेटा ने कहा, "यह अद्भुत है कि हाल ही में खोजी गई एक प्रजाति हमें एक अरब साल से भी अधिक समय पहले की यात्रा पर ले जाती है."

इस साल प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से अंडे देने की क्षमता ने मुर्गियों को मनुष्यों के लिए आकर्षक बनाया, जिससे उनकी पालतूकरण प्रक्रिया शुरू हुई और वे आज की मुर्गी बनीं.