Canadian Hindus Diwali Event: कनाडा के विपक्ष के नेता पियरे पोलीवरे ने देश के राजनीतिक संकट के चलते दिवाली के कार्यक्रम से खुद को अलग कर लिया. भारतियों का प्रमुख त्योहार दिवाली का कार्यक्रम हर साल कनाडा में धूम धाम से मनाया जाता था. लेकिन इस बार विपक्षी नेता ने कार्यक्रम में न शामिल होने की बात कहकर कनाडा में रह रहे हिंदुओं का अपमान किया. वहां के हिंदू समुदाय ने विपक्ष के नेता के इस कदम की कड़ी आलोचना की है.
दिवाली, जो भारतीय समुदाय के लिए एक प्रमुख और पवित्र त्यौहार है, का आयोजन पिछले 23 वर्षों से लगातार होता आया है. लेकिन इस वर्ष कनाडा के राजनयिक संकट के चलते पियरे पोलीवरे और उनके दल के नेताओं ने इस कार्यक्रम में न शामिल होने का फैसला किया. ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (OFIC) ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इसे समुदाय के प्रति एक बड़ा अपमान बताया. OFIC के अध्यक्ष शिव भास्कर ने अपने पत्र में लिखा कि राजनयिक मुद्दों के कारण अचानक लिए गए इस निर्णय ने हिंदू समुदाय को ठगा हुआ महसूस कराया है और इसने कनाडा की बहुसंस्कृतिवाद की छवि को धूमिल किया है.
हिंदू-कनाडाई समुदाय ने इसे केवल एक दिवाली कार्यक्रम की रद्दीकरण नहीं, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक भेदभाव का प्रतीक माना. उनके अनुसार, इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि कनाडा में भारतीय समुदाय को "बाहरी" के रूप में देखा जा रहा है. भास्कर ने अपने पत्र में लिखा कि यह सिर्फ एक दिवाली कार्यक्रम का मुद्दा नहीं है, बल्कि एक बड़ी और गंभीर समस्या का हिस्सा है. कनाडा में नस्लवाद और भेदभाव का माहौल बना हुआ है, और इस घटना ने इसमें हो रहे पूर्वाग्रहों को उजागर कर दिया है.
भारत और कनाडा के बीच के संबंध इस समय अपने निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. दोनों देशों के बीच के इस विवाद का कारण कनाडा द्वारा भारत पर कुछ कड़े आरोप लगाए जाना है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर आरोप है कि वे वोट बैंक की राजनीति के कारण खालिस्तानी तत्वों को संरक्षण दे रहे हैं. भारत ने इसके जवाब में कनाडा के उच्चायुक्त को वापस बुलाया और कुछ कनाडाई राजनयिकों को भी देश से निष्कासित कर दिया.
सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद से कई पुराने पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिनमें पियरे पोलीवरे दिवाली मनाते हुए नजर आ रहे हैं. इन पोस्ट्स के चलते समुदाय में यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस बार क्यों उन्होंने दिवाली में शामिल होने से मना किया. इससे यह आभास होता है कि यह केवल राजनयिक मुद्दा नहीं, बल्कि समुदाय के साथ एक सांस्कृतिक असमानता का भी मामला है.