Hezbollah on Trump Winning: लेबनान में चल रहे युद्ध को रोकने के प्रयासों की कोशिश करने वालों का हिजबुल्लाह ने स्वागत किया है. लेकिन अमेरिकी चुनाव के बाद सरकार में होने वाले बदलाव के बाद भी उसे ऐसी कोई आशा नहीं कि व्हाइट हाउस सीजफायर कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हिजबुल्लाह लॉ मेकिर इब्राहिम अल-मौसावी ने डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी जीत के बारे में पूछे जाने पर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से ये बात कही. ईरान और हिजबुल्लाह दोनों ने ही अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत को नकार दिया है. उनका मानना है कि अमेरिकी शासन में बदलाव के बाद भी उसकी विदेश नीति नहीं बदलेगी.
ब्राहिम अल-मौसावी ने रॉयटर्स से कहा- "अमेरिकी सत्ता में पार्टी का बदलाव हो सकता है. लेकिन जब बात इजरायल की आती है तो सभी की नीति एक जैसी ही होती है. हम एक्शन और निर्णय देखना चाहते हैं."
अमेरिकी राजनयिकों ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष को विराम देने के लिए कोशिश की, जिसमें 60 दिनों के सीजफायर का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन अमेरिकी चुनाव की वजह से यह कोशिश धीमी पड़ गई है. मंगलवार को अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति ट्रंप की दमदार जीत के बाद एक बार फिर से अमेरिका संघर्ष विराम की कवायद तेज कर सकता है.
मौसावी ने माना कि इजरायल ने लेबनान के कई शहरों में ताबड़तोड़ हमले किए हैं. इन हमलो में हजारों बिल्डिंगें तबाह हो गई हैं. दक्षिणी और पूर्वी लेबनान और बेरुत में इजरायल ने भारी तबाही मचाई है. हालांकि, इसके बावजूद हिजबुल्लाह का कहना है कि अभी भी उसकी मिलिट्री पॉवर बहुत मजूबूत है.
मौसावी ने कहा- "हमारा दिल टूट रहा है. हम आए दिन लोगों को खो रहहैं. ऐसा लग रहा है कि इजरायल को कोई दंड नहीं दे सकता है. या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई न्याय नहीं दिला सकता. अमेरिका कहीं न कहीं इसका जिम्मेदार है. "
हिजबुल्लाह के मौसावी ने कहा- अमेरिका इस युद्ध में इजरायल को खुला सपोर्ट कर रहा है. वो इजरायल को हथियार न देकर इस युद्ध को कमजोर कर सकता है लेकिन वो ऐसा करेगा नहीं.
लेबनानी मीडिया अल जदीद ने इस सप्ताह बताया कि लेबनानी-अमेरिकी अरबपति मासाद बौलोस, जो ट्रम्प की बेटी टिफनी के ससुर हैं, ने कहा है कि युद्ध को समाप्त करने के लिए समझौते पर पहुंचने के लिए लेबनानी पक्ष के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी उनकी होगी.