Srilanka China News: चीन ने श्रीलंका में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए निम्न आय वर्ग के लोगों के ऊपर अपनी नजरें गड़ाई हैं. इस वजह से उसने उनके लिए सस्ते मकान बनाने का एलान किया है. चीन के अर्बन डेवलेपमेंट मिनिस्टर प्रसन्ना रणतुंगा ने कहा कि श्रीलंका गरीब परिवारों के लिए 19 हजार से ज्यादा सस्ते घर बनाने के लिए अक्टूबर माह में चीन से एक एग्रीमेंट करेगा. यह समझौता बीजिंग में होने वाले बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRI) समिट के दौरान होगा.
प्रधानमंत्री रानिल भी लेंगे समिट में भाग
रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग में होने वाले इस समिट में श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भी भाग लेंगे. श्रीलंकाई विदेश मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह चाल आक्रामक तरीके से श्रीलंका में अपनी पैठ बढ़ाने के इरादों से जुड़ी है. यह भारत के लिए एक चेतावनी भी है.
भारत की आवास परियोजना अधर में
श्रीलंका में भारत ने भी निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए आवास बनाने का वादा किया है. भारत की यह आवास परियोजनाएं अभी भी अटकी हुई हैं. रणतुंगा ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास में श्रीलंका चीन और भारत से मदद की उम्मीद करता है. इसका अर्थ यह नहीं है कि हम भारत या चीन के पक्षधर हैं.
भारतीय मूल के तमिल लोगों की स्थिति बेहद खराब
यूएन में श्रीलंका की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में करीब 20 फीसदी श्रींलकाई लोगों के घर केवल एक बेडरूम वाले थे. इसमें भारतीय मूल के तमिल लोगों की स्थिति बेहद खराब थी. उनके 47 प्रतिशत मकानों में केवल एक ही कमरा था. श्रीलंका के शहरी विकास प्राधिकरण ( यूडीए ) के 2011 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक, लगभग 70 हजार परिवार 1500 अवैध बस्तियों में रहते हैं. शहरी आबादी में इनका हिस्सा आधे से अधिक है.
बदल जाएगी भारत के प्रति सोच
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने श्रीलंका में अपनी रणनीति को बदलना शुरू कर दिया है. अब उसने बड़ी परियोजनाओं में निवेश के स्थान पर गरीबों से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश पर ध्यान लगा रहा है. 2022 के आर्थिक संकट में चीन ने श्रीलंका में सरकार, मंदिरों, अपनी संस्थाओं के जरिए राशन बंटबाने में मदद की थी. 2010 में भारत ने श्रीलंका में 50,000 मकान बनाने की घोषणा की थी. हालांकि इसमें केवल 1000 मकान ही बनाए जा सके हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारतीय परियोजनाओं में इसी तरह देरी होती रही और चीन इसमें सफल हो गया तो श्रीलंकाई लोगों की भारत के प्रति सोच बदल जाएगी.
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