G 20 Summit India: भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन में चीनी पीएम ली कियांग के नेतृत्व में एक डेलिगेशन आया था. इस प्रतिनिधिमंडल के पास 20 संदिग्ध बैग भी थे. चीन का यह प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के ताज होटल में ठहराया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, ताज पैलेस में रुकने वाले डेलिगेशन में छह लोग शामिल थे. होटल स्टाफ ने जब इनके बैग्स को स्कैन करने के लिए कहा तो वे भड़क गए थे.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शुरुआत में होटल स्टाफ ने उन्हें बैग ले जाने की इजाजत दे दी थी. हालांकि होटल स्टाफ ने इसकी जानकारी सुरक्षा अधिकारियों को दे दी. जिसके बाद चीनी डेलिगेशन के होटल रूम के बाहर 3 सुरक्षा अफसरों को तैनात कर दिया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, इन अफसरों को हर तीन घंटे के बाद बदला जा रहा था.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि 12 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद चीनी प्रतिनिधिमंडल इन बैग्स को भारत में स्थित अपने चीनी दूतावास में शिफ्ट करने को लेकर तैयार हो गया. इन बैग्स पर संदेह होने का सबसे बड़ा कारण इनका आकार था. दरअसल इन सभी बैग्स की लंबाई और चौड़ाई 1-1 मीटर की थी. इनकी मोटाई 10 इंच थी. चीनी प्रतिनिधमंडल जब इन बैग्स को अपने दूतावास भेजने के लिए तैयार हो गया, तब उनके साथ एक सुरक्षा टीम को भी भेजा गया.
रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया अधिकारी अब भी इस बात को लेकर जांच में लगे हैं कि क्या बैग में निगरानी करने वाले डिवाइस थे. ऐसा कहा जाता है कि एक चीनी इलेक्ट्रानिक कंपनी जासूसी के लिए इस तरह के SIG-NIT (सिग्नल-इंटेलिजेंस) कलेक्ट करने वाले डिवाइसों की आपूर्ति करती है.
रिपोर्ट में कहा गया कि विएना कन्वेंशन के कारण एयरपोर्ट पर इन बैग्स की चेकिंग नहीं की गई. 1961 में देशों के बीच राजनयिक संबंधों और उससे जुड़े नियम कानून तय करने के लिए विएना में कन्वेंशन हुआ था. इसमें डिप्लोमैट्स को कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे. इसके मुताबिक किसी भी डिप्लोमैटिक बैग को खोला या जब्त नहीं किया जा सकता है. उनसे जुडे़ किसी भी सामान,बैग, पैकेज पर उसके डिप्लोमैटिक होने के निशान/ मार्क्स होने चाहिए.
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