हाल ही में अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में बने यति नरसिंहानंद गिरी ने इस बार एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है. श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक खून से लिखा पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में श्रद्धालुओं की मृत्यु का जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और अहंकार को ठहराया.
इस पत्र में यति नरसिंहानंद गिरी ने भगदड़ की घटना को 'हिन्दू जनसंहार' करार दिया और आरोप लगाया कि यह घटना अधिकारियों के स्वार्थ और संवेदनहीनता के कारण हुई. उन्होंने लिखा कि यह वीभत्स घटना उनके लिए उतनी चिंता का विषय नहीं है, जितना कि वह महाविनाश है, जो हिन्दू समाज की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
पत्र में क्या लिखा?
नरसिंहानंद गिरी ने पत्र में लिखा, "मौनी अमावस्या पर हिन्दू श्रद्धालुओं के प्रति अधिकारियों का अमानवीय व्यवहार मुझे यह पत्र लिखने पर मजबूर कर दिया है. यह स्वार्थी अधिकारी आपको किस तरह से मूर्ख बना सकते हैं, यह मेरे लिए बहुत ही पीड़ादायक और विचलित करने वाला है." उन्होंने आगे कहा कि यह घटना उनके लिए चिंता का विषय नहीं है, बल्कि वह महाविनाश उनकी असली चिंता है, जो हिन्दू समाज की ओर बढ़ रहा है.
हिन्दू समाज को इस संकट से बचाना...
इसके अलावा, यति नरसिंहानंद गिरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हिन्दू समाज ने नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री इस उम्मीद से चुना था कि वे इस महाविनाश से हिन्दू समाज की रक्षा करेंगे. गिरी ने यह भी कहा कि यदि हिन्दू समाज को इस संकट से बचाना है, तो यह जरूरी है कि सरकार हिन्दू विरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और हिन्दू समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रमाणित करे.
यति नरसिंहानंद गिरी के इस पत्र ने न केवल उत्तर प्रदेश की सरकार को चुनौती दी है, बल्कि हिन्दू समाज में उनके बयान को लेकर एक नई बहस भी शुरू कर दी है. जबकि कुछ लोग उनके बयान को सत्य मानते हुए प्रशासन की लापरवाही की आलोचना कर रहे हैं, वहीं अन्य लोग इसे विवादित और राजनीति से प्रेरित मानते हैं.