नई दिल्लीः भारत की अध्यक्षता में हुए जी 20 शिखर सम्मेलन का समापन हो चुका है. पीएम मोदी ने इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे सभी देशों से सुझावों, प्रस्तावों और विचारों पर फिर से मंथन करने के लिए नवंबर से पहले एक ऑनलाइन सेशन की पेशकश के साथ ही इस समिट के समापन का एलान कर दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति सहित दुनियाभर से जुटे कई नेताओं ने भारत की मेजबानी की सराहना की. इन सबके इतर सबसे बड़ा सवाल है कि इस वैश्विक सम्मेलन से भारत और दुनिया को क्या हासिल हुआ हम इस बारे में तफ्तीश से जानेंगे.
घोषणापत्र पर सभी देशों की सहमति
यह सम्मेलन अफ्रीकन यूनियन को इस समूह की स्थायी सदस्यता देने के लिए याद किया जाएगा. इसके अलावा जी 20 के नेताओं ने पहले ही दिन जारी किए गए नई दिल्ली घोषणापत्र पर सहमति दे दी. पीएम मोदी ने इसके स्वीकार किए जाने का एलान कर दिया. इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिका और तुर्किये ने समर्थन किया.
यूएन सिक्योरिटी काउंसिल पर सवाल?
जी 20 समिट के वन फ्यूचर सेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया को एक बेहतरीन भविष्य के लिए हमें वैश्विक निकायों में बदलाव करना होगा. पीएम इसमें सुधार को रेखांकित करते हुए सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित किया. पीएम ने कहा कि इसकी स्थापना के समय पूरी दुनिया की स्थिति बिल्कुल अलग थी और आज की दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी ने साइबर सिक्योरिटी, क्रिप्टो करेंसी, को दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों के रूप में वर्णित किया.
रूस यूक्रेन युद्ध पर नरम रहा घोषणापत्र
जी 20 समिट के घोषणापत्र को सभी सदस्य देशों के द्वारा अपनाए जाने को भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों ने कहा कि रूस-यूक्रेन मसले पर सभी सदस्य देशों के बीच तालमेल बिठाना कतई आसान नहीं था. इस घोषणापत्र पर सहमति बनाने में ब्राजील, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया जैसे देशों की महती और प्रभावी भूमिका रही. इस घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध पर रूस का नाम न लेना, उसे हमलावर के तौर पर न दिखाना भारत की राजनयिक कामयाबी तो रूस की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है. अमूनन देखा जाता है जी 20 सम्मेलन में जी 7 देश यानी पश्चिमी देशों का ही दबदबा देखा जाता था, लेकिन भारत की अध्यक्षता में इस बार ऐसा नहीं हुआ. भारत और विकासशील देशों ने यह पहले ही जता दिया था कि रूस-यूक्रेन मसले को इस सम्मेलन पर हावी नहीं होने दिया जाएगा. पिछले साल बाली में हुए इस समिट पर पश्चिमी देश पूरी तरह से हावी थे और उन्होंने पूरे समिट को हाइजैक कर लिया था.
यूक्रेन की नाराजगी और भारत का जवाब
इस घोषणापत्र में रूस को हमलावर देश करार न देना यूक्रेन की नाराजगी का कारण बना, और ऐसा होना भी लाजिमी था. इस समिट में यूक्रेन चाहता था कि रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा या उनके प्रेसिडेंट को वर्चुअल माध्यम से समिट में जुड़ने का अवसर मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इस पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इंडोनेशिया के बाली के सम्मेलन की तुलना नई दिल्ली सम्मेलन से नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा बाली के दौरान वैश्विक हालात अलग थे, अब हालात अलग है. दुनिया पहले की तुलना में काफी बदल चुकी है. भारत ने इस समिट में रुस-यूक्रेन मसले को हावी नहीं होने दिया . इसके बजाए इसमें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्रिप्टोकरेंसी पर रेगुलेशन और वैश्विक फाइनेंशियल फ्रेमवर्क जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई जो आज की दुनिया के लिए बेहद जरूरी मुद्दे थे.
अमेरिका बोला - जी 20 ने बढ़ा दी उम्मीदें
अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी इस समिट के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा की गई उन पर सहमति जताई. बाइडन ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में हुए इस समिट ने दिखा दिया कि यह संगठन दुनिया को समस्याओं से दूर निकाल सकता है. इसने साबित किया है दुनिया की सबसे ज्वलंत समस्याओं का इसके पास हल है. बाइडन ने कहा कि जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, अपनी कमजोरियों और संघर्षों से जूझ रही है तो ऐसे समय में जी 20 देश पूरी दुनिया को इन संघर्षों से निजात दिलाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
ब्राजील को अगले साल की अध्यक्षता
पीएम मोदी ने इस शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को जी 20 समूह की औपचारिक अध्यक्षता सौंप दी. अध्यक्षता के प्रतीक के रूप में मोदी ने उन्हें एक हथौड़ा पेश किया. इसके बाद लूला ने उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के हितों से जुड़े मुद्दों पर भारत के रुख का समर्थन किया. पीएम मोदी ने ब्राजील को अगले साल इस समूह की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं दी. लूला ने इसके बाद कहा कि जी 20 समूह ब्राजील की अध्यक्षता में सामाजिक समावेश, सतत विकास और संपूर्ण विश्व से भुखमरी के खात्मे के लिए संयुक्त प्रयास करेगा.उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत की. इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक निकायों में विकासशील देशों के अधिक प्रतिनिधित्व देने के बारे में भी कहा.
सुनक ने की चीन की घेराबंदी
इस समिट में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चीन को लेकर सभी देशों का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने हाल ही में अपने देश के संसदीय लोकतंत्र में चीन के हस्तक्षेप पर चिंता जाहिर की. द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में दो चीनी लोगों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस खबर के बाद यूके के पीएम सुनक ने चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की. इस मामले पर उन्हें ब्रिटेन की चिंताओ से अवगत कराया.
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
दुनियाभर के नेताओं ने इस सम्मेलन में पीएम मोदी के साथ राजघाट पर जाकर इस सदी के सबसे महान पुरुष महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान जी 20 के नेताओं ने लीडर्स लाउंज में शांति दीवार पर भी हस्ताक्षर किए. इस बीच तस्वीरों में दिख रही बापू कुटी के चित्र के बारे पीएम मोदी ने इन नेताओं को बताया. वर्धा के पास सेवाग्राम आश्रम में स्थित 'बापू कुटी' 1936 से लेकर 1948 में महात्मा गांधी के निधन तक उनका निवास स्थान था.
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