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India Daily

'हमारी कंपनी और हमारे कर्मचारी भारतीय', तुर्की से जुड़ी सेलेबी एविएशन का हाई कोर्ट में दावा

तुर्की से जुड़ी विमानन कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी 15 मई को रद्द कर दी गई थी, जिसके कुछ दिन पहले ही तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और पड़ोसी देश में आतंकवादी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा की थी.

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Edited By: Mayank Tiwari
Turkey-Based Firm Celebi Airport Services India Pvt Ltd
Courtesy: Social Media

तुर्की से जुड़ी विमानन कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मामले की दिल्ली हाई कोर्ट में बुधवार (21 मई) को सुनवाई चल रही है. इस दौरान सेलेबी एयरपोर्ट कंपनी ने हाई कोर्ट से कहा, 'हम भारतीय कंपनी हैं, कर्मचारी भी भारतीय हैं'. क्योंकि कंपनी ने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें इस महीने की शुरुआत में "राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में" कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई थी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेलेबी एविएशन की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बताया कि कंपनी भारत में पिछले 17 सालों  से बिना किसी दोष के काम कर रही है और सुरक्षा मंजूरी रद्द करने का कदम मनमाना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा, "यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. हवाईअड्डा संचालकों के साथ मेरे अनुबंध रद्द किए जा रहे हैं."

दिल्ली HC में चल रही सेलेबी एविएशन मामले की सुनवाई!

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की पीठ 15 मई के आदेश के खिलाफ सेलेबी की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जो तुर्की द्वारा सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन करने और आतंकी शिविरों पर भारत के हमलों की आलोचना करने के तुरंत बाद आया था, जिससे यह सवाल उठा कि क्या नियामक कार्रवाई राजनीति से प्रेरित थी. हालांकि, रोहतगी ने अपनी दलीलें कानूनी आधारों और सरकार के फैसले में प्रक्रियात्मक खामियों तक ही सीमित रखीं.

पिछले उदाहरणों की तुलना में कानूनी ढांचे में काफी बदलाव आया- रोहतगी

इस केस में सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि पिछले उदाहरणों की तुलना में कानूनी ढांचे में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा, "जस्टिस कुरियन जोसेफ के फैसले में 1937 के विमान नियमों पर विचार किया गया था, जो अब लागू नहीं हैं. 2011 में नए नियम बनाए गए थे और मौजूदा स्थिति नियम 12 द्वारा शासित है."उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नियम 12 के अनुसार सुरक्षा मंजूरी रद्द करने जैसे किसी भी कठोर निर्णय से पहले सुनवाई अनिवार्य है.

मुझे सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, "जहां भी ऐसे फैसले लिए जाते हैं, वहां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत लागू होते हैं. मुझे नोटिस भी नहीं दिया गया, जबकि नियम कहता है कि मुझे नोटिस दिया जाना चाहिए. मैं कारणों की प्रति पर जोर नहीं दे रहा हूं.मैं यह कह रहा हूं कि मैं विकलांग था, क्योंकि मुझे सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई."

एक बिंदु पर, पीठ ने पूछा कि क्या नियम अदालतों को अधिकारियों को दस्तावेज़ शेयर करने का निर्देश देने की अनुमति देते हैं. रोहतगी ने फिर से नियम 12 की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक आरोपी पक्ष को कम से कम इस बात का अंदाजा होना चाहिए कि उस पर क्या आरोप लगाया जा रहा है. रोहतगी ने कहा,"अगर मुझे आरोप के बारे में पता होता, तो कुछ समाधान मिल सकता था. अगर समस्या यह है कि कुछ लोग तुर्की से हैं, तो मैं उन लोगों को बदल दूंगा. मैं और क्या कह सकता हूँ?.

जानिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान में लॉच किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद 15 मई को, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने "राष्ट्रीय सुरक्षा" का हवाला देते हुए सेलेबी की सुरक्षा मंज़ूरी रद्द कर दी. क्योंकि, कुछ दिनों पहले तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और पड़ोसी देश और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा की थी,. बता दें कि, कंपनी को सुरक्षा मंज़ूरी नवंबर 2022 में दी गई थी.