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राजद्रोह कानून को चुनौती देने याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, लोकसभा में पहले ही पेश किया जा चुका है बिल

Sedition Law: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों ने राजद्रोह कानून के खिलाफ याचिका दायर की थीं. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आज के समय में इस कानून की जरूरत नहीं है.

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Sagar Bhardwaj
राजद्रोह कानून को चुनौती देने याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, लोकसभा में पहले ही पेश किया जा चुका है बिल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट 152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

इससे पहले केंद्र सरकार ने 1 मई को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राजद्रोह को अपराध बनाने वाली आईपीसी की धारा 124A की समीक्षा की जा रही है. इसके बार सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी.

लोकसभा में पहले ही पेश हो चुका है बिल

भले ही सुप्रीम कोर्ट में आज इस कानून पर सुनवाई होने जा रही हो लेकिन जानकारी के लिए बता दें कि  11 अगस्त  2023 को  गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 163 साल पुराने तीन कानूनों में बदलाव के लिए बिल पेश किया था जिसमें राजद्रोह कानून खत्म करना भी  शामिल है.

राजद्रोह कानून जरूरी- लॉ कमीशन
बता दें कि राजद्रोह कानून की वैधता को लेकर लॉ कमीशन ने 2 जून को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें आयोग ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A को आईपीसी में बनाए रखने की आवश्यकता है. इसको हटाने की कोई वाजिब वजह नहीं है, हालांकि इस कानून के उपयोग को लेकर स्पष्टता बनी रहे इसके  लिए इसमें कुछ संशोधन किये जा सकते हैं.

कोर्ट ने पिछले साल लगा दी थी रोक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक आदेश जारी कर इस कानून के तहत कोई भी मामला दर्ज किये जाने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि जब तक आईपीसी की धारा 124A की री-एग्जामिन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक राजद्रोह के तहत कोई मामला दर्ज नहीं होगा. इसके अलावा कोर्ट ने पहले से दर्ज मामलों में भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने यह भी कहा था राजद्रोह के तहत जेल में बंद आरोपी जमानत के लिए भी अपील कर सकते हैं.

पांच पक्षों ने कानून के खिलाफ दायर की थी याचिका

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों ने राजद्रोह कानून के खिलाफ याचिका दायर की थीं. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आज के समय में इस कानून की जरूरत नहीं है.

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