Karnataka temple tax bill: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है. सिद्धारमैया सरकार ने विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) पारित करा लिया था, लेकिन विधान परिषद में शुक्रवार को ये विधेयक खारिज हो गया है. इस संशोधित विधेयक में कहा गया था कि जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज़्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स वसूल करेगी. इस विधेयक ने कर्नाटक में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया और विपक्षी बीजेपी ने कांग्रेस पर 'हिंदू विरोधी' नीतियां लागू करने का आरोप लगाया.
कर्नाटक में विधान परिषद में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की संख्या सत्तारूढ़ सरकार से अधिक है. कांग्रेस के पास 30 एमएलसी हैं, बीजेपी के पास 35 एमएलसी हैं, आठ एमएलसी JD(S) से हैं और एक स्वतंत्र उम्मीदवार है. परिषद में एक सीट खाली है. जैसे ही भाजपा और JD(S) के सदस्यों ने आपत्ति जताई, परिषद के उपाध्यक्ष एमके प्राणेश ने ध्वनि मत का आह्वान किया, जिसमें विपक्षी सदस्यों द्वारा इसके खिलाफ मतदान करने के बाद विधेयक को खारिज कर दिया गया. सात सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में वोट किया, जबकि 18 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट किया.
कर्नाटक सरकार ने 'कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती संशोधन विधेयक 2024' पारित किया, जो राज्य को उन मंदिरों से 10 प्रतिशत कर इकट्ठा करने का आदेश देता है, जिन मंदिरों का राजस्व 1 करोड़ रुपये से अधिक है. परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने आरोप लगाया कि भाजपा "हिंदू विरोधी" है और उन्होंने दावा किया कि जो पार्टी 2011 में सत्ता में थी, उसने विधेयक में संशोधन किया था. बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है और इसमें हिंसा, धोखाधड़ी और धन का दुरुपयोग होना तय है.
रामलिंगा रेड्डी ने कहा़- हम हिंदू विरोधी नहीं हैं. बीजेपी हिंदू विरोधी है. यह कानून 2003 में अस्तित्व में आया था, जब बीजेपी सरकार में थी. 2011 में उन्होंने इसमें कुछ संशोधन किए. उस वक्त 5 लाख रुपये तक के करीब 34,000 मंदिर थे, धर्मिका परिषद के लिए कोई पैसा नहीं दिया. राज्य में 5 लाख से 10 लाख तक आय वाले लगभग 193 'बी ग्रेड' मंदिर हैं उन्हें 5 प्रतिशत देना होता है. 10 लाख से अधिक आय वाले लगभग 205 मंदिर हैं उनके पास है 10 प्रतिशत देना होगा.