Deedwana Assembly Seat: पिछले 56 सालों से इस सीट पर रिपीट नहीं हुई है विधायकी, क्या इस बार बदलेंगे समीकरण
Deedwana Assembly Seat Profile: नागौर से अलग होकर बने डीडवाना-कुचामन जिले में अब सियासी समीकरण बदल गए हैं जिनका असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.

Deedwana Assembly Seat: राजस्थान के पांचवें सबसे बड़े जिले नागौर से अलग होकर नए जिले के रूप में उभरे डीडवाना में पिछले 56 सालों में विधायकी रिपीट नहीं हुई है.
वंशवाद, जातिवाद और परिवारवाद से यह क्षेत्र दशकों तक कोसों दूर रहा लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में यह परंपरा टूट गई और पूर्व विधायक रहे रूपराम डूडी के पुत्र चेतन डूडी ने चुनाव जीता.
मोतीलाल इस सीट पर लगातार दो बार विधायक बनने वाले एकमात्र नेता
इस विधानसभा सीट पर अब तक 15 बार चुनाव हुआ है जिसमें 9 अलग-अलग लोग चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. मथुरादास माथुर डीडवाना के पहले विधायक थे. इस सीट की खास बात ये है कि 1996 में मोतीलाल के बाद कोई भी नेता इस सीट पर अपनी विधायकी लगातार रिपीट करने में कामयाब नहीं हो सका.
नया जिला बनने से बदले सियासी समीकरण
नागौर से अलग होकर बने डीडवाना-कुचामन जिले में अब सियासी समीकरण बदल गए हैं जिनका असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
पिछले तीन विधानसभा चुनावों का हाल
साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के चेतन डूडी ने बीजेपी के जितेंद्र सिंह को 92,981 वोटों से करारी शिकस्त दी थी.
2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के रूपराम और बीजेपी के यूनुस खान के बीच मुकाबला हुआ था. इस मुकाबले में रूपाराम की जीत हुई. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी यूनुस खान को 15000 वोटों से हराया था.
2013 के विधानसभा चुनाव में यूनुस खान एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे. इस बार उनका मुकाबला रूपाराम डूडी के बेटे चेतन डूडी से था. हालांकि मोदी लहर पर सवार हुए यूनुस खान ने इस बार बाजी मार ली. उन्होंने डूडी को 68,795 वोटों से हराया. चेतन डूडी का यह पहला विधानसभा चुनाव था.
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