Punjab And Haryana High Court: पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने भगवंत मान सरकार से सवाल पूछा है कि कितना पाकिस्तानी नागरिक पंजाब के जेलों में कैद हैं. कोर्ट ने पंजाब सरकार से ऐसे कैदियों की लिस्ट मांगी है, जो सजा पूरी होने या फिर बरी होने के बाद भी पंजाब के जेलों में कैद हैं और अपने देश लौटने का इंतजार कर रहे हैं.
केयरटेकर चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बेंच ने जुवेनाइल होम्स में बंद दो पाकिस्तानी नाबालिगों के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी. दोनों नाबालिगों की ओर से फरीदकोट सेशन डिवीजनों के एडमिनिस्ट्रेटिव जज, जस्टिस एनएस शेखावत को पत्र लिखकर कहा था कि अप्रैल 2023 में बरी किए जाने के बावजूद उन्हें हिरासत में रखा गया है.
नाबालिगों की ओर से दावा किया गया था कि स्वदेश वापसी का उनका मामला पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के पास लटका हुआ है. पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने आज कहा कि किशोरों को वापस भेजने के लिए राज्य की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और यह केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए लंबित है. पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि जब भी केंद्र सरकार हमें आने के लिए कहेगी, हम उन्हें स्वदेश वापसी के लिए ले जाएंगे.
हाई कोर्ट ने वकील नितिन मिट्टू की ओर से दायर एक हस्तक्षेप आवेदन पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने डेटा एकत्र किया है. डेटा के मुताबिक, 55 ऐसे पाकिस्तानी हैं, जो या तो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं या अपने संबंधित मामलों से बरी हो गए हैं, लेकिन अभी भी जेलों में हैं. इससे पहले, न्यायालय ने निर्देश दिया था कि प्रक्रिया को जल्द से जल्द तार्किक अंत तक पहुंचाने के लिए कदम उठाए जाएं.
दोनों पाकिस्तानी नाबालिगों पर कथित तौर पर भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का आरोप था. दोनों के खिलाफ पंजाब के तरनतारन में पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा 3 और विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत मामला दर्ज किया गया था और तब से वे जुवेनाइल होम में कैद हैं. .
हालांकि, किशोर बोर्ड ने फैसला सुनाया कि एक सीमा स्तंभ से दूसरे सीमा स्तंभ के बीच कोई बाड़ नहीं थी. कोहरे के दिनों में गलती से भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है और इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि घटनास्थल पर वायरिंग या गेट न होने के कारण नाबालिग दोनों देशों के बीच बॉर्डर को नहीं समझ सकें. इसके बाद दोनों नाबालिगों को बरी कर दिया गया था.
दोनों किशोरों ने जस्टिस शेखावत को मुकदमे में बरी होने के बावजूद अवलोकन गृह में कैद होने की अपनी दुर्दशा के बारे में लिखा, क्योंकि उनके प्रत्यावर्तन का मामला लंबित है. मामले को अब आगे विचार के लिए 18 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है.