कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के एक हालिया बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए, सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू को "Poor Lady" कहा, जिससे एक बार फिर कांग्रेस और आदिवासी समुदाय के बीच के संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं. सोनिया गांधी की यह टिप्पणी न केवल राष्ट्रपति के लिए अपमानजनक मानी गई, बल्कि यह कांग्रेस के भीतर की आदिवासी और गरीबों के प्रति पूर्वाग्रहपूर्ण मानसिकता को भी उजागर करती है.
सोनिया गांधी का विवादास्पद बयान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर टिप्पणी करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, "राष्ट्रपति अंत तक बहुत थक चुकी थीं, बेचारी, वे मुश्किल से बोल पा रही थीं, पुअर लेडी." इस बयान के बाद से सोनिया गांधी को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. राष्ट्रपति भवन ने इसे न केवल अपमानजनक बल्कि सर्वोच्च पद की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाला भी बताया. राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि वह कभी थकी नहीं थीं और उनका उद्देश्य हमेशा उन समुदायों के लिए आवाज उठाना था जो हाशिए पर हैं, जैसे महिलाएं, किसान और आदिवासी.
आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान
सोनिया गांधी के बयान से एक और गंभीर मुद्दा सामने आया, और वह था आदिवासी समुदाय का अपमान. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे आदिवासी और महिला विरोधी टिप्पणी बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह आदिवासियों के हितों की रक्षा में कितनी संजीदा है.
कांग्रेस का आदिवासी विरोधी इतिहास
कांग्रेस पार्टी का आदिवासी समुदाय के प्रति रवैया हमेशा विवादों में रहा है. यह पार्टी हमेशा आदिवासी समुदायों के हितों को नज़रअंदाज़ करने के लिए जानी जाती रही है. चाहे आदिवासी नायकों की पहचान को दबाना हो, या कल्याणकारी योजनाओं को रोकना हो, कांग्रेस के नेतृत्व में आदिवासियों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण नीतियां रही हैं. सोनिया गांधी का "पुअर लेडी" कहना, इस मानसिकता का हिस्सा प्रतीत होता है, जो आदिवासी समुदाय के संघर्ष और उनकी सफलता को कमतर आंकता है.
आदिवासियों की सामूहिक पहचान का अपमान
सोनिया गांधी के बयान ने न केवल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान किया, बल्कि उन लाखों आदिवासी नागरिकों की सामूहिक पहचान और संघर्ष का भी अनजाने में अपमान किया, जिन्होंने कठिन संघर्षों के बाद सत्ता के सर्वोच्च पदों तक अपनी पहुंच बनाई. द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनने को आदिवासी समुदाय ने एक बड़ी उपलब्धि और प्रगति के प्रतीक के रूप में देखा था, और ऐसे में सोनिया गांधी का बयान उनके लिए एक गहरी ठेस है.
कांग्रेस का आदिवासी विरोधी नजरिया
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी नेता ने राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान किया हो. जुलाई 2024 में, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "राष्ट्रपत्नी" कहकर उनका मजाक उड़ाया था. यह टिप्पणी उनके जाति-आधारित और नस्लवादी दृष्टिकोण को उजागर करती है, जिसमें वे एक आदिवासी महिला को भारत के सर्वोच्च पद पर देखने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.
क्या कांग्रेस के लिए यह बर्दाश्त करना मुश्किल है?
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस ने अगर द्रौपदी मुर्मू एक विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आतीं, तो क्या वे इसी प्रकार का अपमान करतीं? यह सवाल कांग्रेस के वंशवादी दृष्टिकोण को उजागर करता है. कांग्रेस की शाही मानसिकता अब उन नेताओं के उदय से चुनौती पा रही है जो वास्तविक भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि अभिजात्य और लुटियन राजनीति का.