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'पाकिस्तान जाना होता तो...', जम्मू के नगरोटा में फारूक अब्दुल्ला की हुंकार, राजनीति में आने का मकसद भी बताया

Farooq Abdullah Rally: जम्मू के नगरोटा विधानसभा क्षेत्र में नेशनल कांफ्रेंस के सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला ने रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने में राजनीति में आने का मकसद बताया. इसके साथ ही पाकिस्तान जाने को लेकर भी एक बड़ा बयान दिया है.

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Edited By: Purushottam Kumar
Farooq Abdullah

हाइलाइट्स

  • 'पाकिस्तान जाना होता तो चले जाते कोई नहीं रोक सकता था'
  • 'लोगों को आतंकबाद से बचाने के लिए लड़ा था चुनाव'

Farooq Abdullah Rally: जम्मू के नगरोटा विधानसभा क्षेत्र में नेशनल कांफ्रेंस की ओर से एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया. इस रैली को नेशनल कांफ्रेंस के सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला ने संबोधित किया. रैली में आए लोगों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि जो भी लोग यह सवाल करते हैं कि नेशनल कांफ्रेंस कहीं नहीं है जो कहते हैं कि यह पाकिस्तानी हैं, आतंकवादियों से मिले हैं उन्होंने कभी यह नहीं बताया कि हमारे 1500 मंत्री, स्पीकर, विधायक और कार्यकर्ता मारे गए हैं. फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि ऐसा कहने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि विधानसभा पर जब हमला हुआ था तो फारूक अब्दुल्ला कहां थे.

'पाकिस्तान जाना होता तो चले जाते'

विधानसभा पर हमले का जिक्र करते हुए डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भगवान मुझे बचाना चाहते थे इसलिए हमले से महज 5 मिनट पहले गवर्नर ने मुझे बुलाया था. इस हमले में 40 लोग मारे गए थे और इस हमले में 40 लोग मारे गए. उन्होंने आगे कहा कि हम लोग हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे. अगर हमें पाकिस्तान जाना होता तो 1947 में ही चले जाते, हमें कोई नहीं रोक सकता था.

'370 को हमने नहीं बनाया'

अनुच्छेद 370 और महाराज जम्मू कश्मीर हरि सिंह को याद करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि 370 को हमने नहीं महाराज साहब ने बनाया था. फारूक अब्दुल्ला ने कहा का महाराज साहब ने 370 इसलिए लगाया था क्योंकि उस समय न तो हिंदुस्तान था ना पाकिस्तान. महाराजा साहब ने इस कानून को बनाया ताकि लोग बाहर से आकर यहां न बसे और यहां के लोगों की जमीन और नौकरियां ना खा लें. उन्होंने यहां की नौकरी जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए रखी थी.

'लोगों को बचाने के लिए चुनाव लड़ा'

फारूक अब्दुल्ला ने 1996 के दौर को याद करते हुए कहा कि यहां जब आतंकवाद चरम पर थी तो आज की यह पार्टियां कहीं नहीं थी और लोग श्रीनगर जाने से डरते थे. इसी को देखते हुए मैंने फैसला लिया कि अगर यहां के लोगों को बचाना है तो चुनाव लड़ना है. उन्होंने आगे कहा कि 1996 में यहां के सभी बंद स्कूलों को उन्हें रेहबारे तालीम के तहत फिर से शुरू किया. हमने डॉक्टर लाए हैं, सड़के बनाई पुल बनाएं. 1996 तक डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस दफ्तर में बैठता था. मैंने उसको हेलीकॉप्टर दिया और कहा कि दूर दराज इलाकों में जाकर वहां के लोगों की भर्ती कीजिए. इसमें मैंने हिंदू मुस्लिम का भेदभाव नहीं किया. हमने यह कभी नहीं देखा कि आप हिंदू हैं या मुसलमान हैं जम्मू से हैं या श्रीनगर से हैं.