menu-icon
India Daily

नवंबर में ही छोड़ दिया था मंत्री पद, दो महीने रहा चुप; छगन भुजबल ने बताई वजह?

एक रैली को संबोधित करते समय महाराष्ट्र के विधायक छगन भुजबल ने शिंदे सरकार पर निशाना साधा हैै. इससे पहले भी कई बार ओबीसी वर्ग के नेता महाराष्ट्र सरकार को घेर चुके हैं.

auth-image
Naresh Chaudhary
Maharashtra Govt, Chhagan Bhujbal, Maratha Reservation, OBC Quota, Ajit Pawar, Maharashtra News

अहमदनगर: महाराष्ट्र की राजनीति में भी रह रहकर उबाल आता रहता है. ठाणे में भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ ने शिवसेना के विधायक महेश गायकवाड़ पर थाने में फायरिंग कर दी. इसके बाद आरोपी भाजपा विधायक ने सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं. अब राकांपा के अजीत पवार गुट के नेता और विधायक छगन भुजबल ने भी सरकार के खिलाफ अपना मुंह खोल दिया है. राज्य सरकार पर ओबीसी कोटा में मराठा समुदाय को पिछले दरवाजे से एंट्री देने का आरोप लगाने वाले विधायक छगन भुजबल ने शनिवार को एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं पिछले नवंबर में राज्य मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे चुका हूं. 

एक रैली को संबोधित करते हुए छगन भुजबल ने कहा कि वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं, बल्कि मौजूदा ओबीसी कोटा साझा करने के खिलाफ हैं. इस पर विपक्ष और मेरी सरकार के कई नेताओं ने कहा कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए. कुछ नेताओं ने तो इतना तक कहा कि छगन भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष, सरकार और अपनी पार्टी के नेताओं को बताना चाहता हूं कि 17 नवंबर को अंबाद में ओबीसी एल्गर रैली से पहले मैंने 16 नवंबर को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और फिर उस कार्यक्रम में शामिल होने गया था.

मैं अंत तक ओबीसी के लिए लड़ूंगाः भुजबल

छगन भुजबल ने कहा कि वह दो महीने से ज्यादा समय तक इसलिए चुप रहे, क्योंकि सीएम और डिप्टी सीएम ने उन्हें इस बारे में नहीं बोलने के लिए कहा था. महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वरिष्ठ नेता भुजबल ने कहा कि बर्खास्तगी की कोई जरूरत नहीं है. मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अंत तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा. भुजबल की ये टिप्पणी उस समय सामने आई है जब कुछ वर्गों की ओर से उनके खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री पद से इस्तीफे की मांग की गई है, क्योंकि वह मराठा आरक्षण की मांग का समाधान खोजने के लिए राज्य सरकार की आलोचना करते रहे हैं.

समाज में दरार डालने का लगाया आरोप, इस्तीफे की मांग

उन्होंने सरकार पर मराठा आरक्षण नेता मनोज जारांगे की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था. एकनाथ शिंदे खेमे के एक विधायक ने कहा था कि समाज में दरार पैदा करने की कोशिश के लिए छगन भुजबल को बर्खास्त किया जाना चाहिए. भुजबल ने कहा कि हम मराठा समुदाय को आरक्षण का विरोध नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें अलग से आरक्षण देने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि इसे हमारे (ओबीसी) कोटे के तहत न दें. वहीं मनोज जरांगे कहते हैं कि इसे ओबीसी कोटे से दें. 

उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से एक सर्वेक्षण के माध्यम से मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए डेटा एकत्र करने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है. उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी में ओबीसी 54-60%, एससी/एसटी 20% और ब्राह्मण 3% हैं, फिर भी सभी विधायक और सांसद मराठा वोट खोने से डरते हैं. छगन भुजबल ने दावा किया है कि ओबीसी विधायक रैलियों में भाग लेना तो दूर, फंडिंग में भी मदद नहीं करते हैं.