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'सबूत मिटा रहा है चुनाव आयोग', राहुल गांधी ने आयोग पर लगाए गंभीर आरोप, तो EC ने दिया ये जवाब

राहुल गांधी ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि इस तरह के कदम लोकतंत्र के लिए घातक हैं. उनका मानना है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आयोग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान कदम इसके विपरीत हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
Congress MP Rahul Gandhi
Courtesy: Social Media

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार (21 जून) को चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पारदर्शिता सुनिश्चित करने के बजाय सबूतों को नष्ट कर रहा है. उन्होंने दावा किया, “चुनाव आयोग जवाब देने की बजाय सबूत मिटा रहा है.” चुनाव आयोग ने शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज जारी करने की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह टिप्पणी "राजनीति से प्रेरित" है.

दरअसल, चुनाव आयोग ने बताया कि इस तरह के फुटेज को सार्वजनिक करने का आह्वान राजनीति से प्रेरित हो सकता है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को परेशान करना या उनका प्रोफाइल बनाना है, खासकर उन मतदान केंद्रों पर जहां किसी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा हो. बता दें कि, चुनाव आयोग की यह टिप्पणी राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर "सबूतों को मिटाने" का आरोप लगाने के कुछ ही घंटों बाद आई है, क्योंकि आयोग ने अधिकारियों को 45 दिनों के बाद सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को 'नष्ट' करने का निर्देश दिया था.

सोशल मीडिया पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सामाजिक मंच ‘X’ पर अपनी बात रखते हुए चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा, “मतदाता सूची? मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में नहीं देंगे. सीसीटीवी फुटेज? क़ानून बदलकर छुपा लिया गया. चुनाव की तस्वीरें और वीडियो? अब एक साल नहीं, 45 दिन में मिटा दिए जाएंगे. जिसे जवाब देना था. वही अब सबूत मिटा रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “यह साफ़ है कि मैच फिक्स है. और फिक्स चुनाव लोकतंत्र के लिए ज़हर है.” राहुल गांधी का यह बयान चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गहरी चोट करता है और जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है.

चुनाव आयोग का विवादास्पद निर्देश

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया है जब चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि यदि 45 दिनों के भीतर कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती, तो चुनावों से संबंधित सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग को 45 दिनों बाद नष्ट कर दिया जाए. इस फैसले ने आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं. 

लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा- नेता विपक्ष

राहुल गांधी ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि इस तरह के कदम लोकतंत्र के लिए घातक हैं. उनका मानना है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आयोग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान कदम इसके विपरीत हैं.