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कोलकाता में 237 साल पुरानी इमारत, जो भूकंप के बाद भी खड़ी रही मजबूत! जानें इस ऐतिहासिक बिल्डिंग की दिलचस्प बातें

Kolkata Building: कोलकाता के 9 चौरंगी रोड पर स्थित 237 साल पुरानी इमारत एक ऐसी धरोहर है जो आज भी मजबूती से खड़ी है. 1787 में बनी यह इमारत ना केवल प्राकृतिक आपदाओं (natural disaster) को सहन कर चुकी है, बल्कि इसने भारत के इतिहास में आए कई बदलावों का गवाह भी बनी है.

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Edited By: India Daily Live
Kolkata Building
Courtesy: Social Media

Kolkata Building: कोलकाता के 9 चौरंगी रोड पर स्थित 237 साल पुरानी इमारत एक ऐसी धरोहर है जो आज भी मजबूती से खड़ी है. 1787 में बनी यह इमारत ना केवल प्राकृतिक आपदाओं (natural disaster) को सहन कर चुकी है, बल्कि इसने भारत के इतिहास में आए कई बदलावों का गवाह भी बनी है. इस इमारत ने भूकंपों, चक्रवातों को झेला ह, परंतु इसकी हालत अब जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है.

भारतीय कला और सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण ट्रस्ट (INTACH) ने कोलकाता नगर निगम से अपील की है कि इसे धरोहर (Heritage) का दर्जा दिया जाए और इसे रिजर्व किया जाए. इस ऐतिहासिक इमारत की जांच करने वाले संरक्षण वास्तुकार पार्थ रंजन दास का कहना है कि, 'हालांकि पिछले 70 सालों से इसमें कोई मरम्मत नहीं हुई है, लेकिन यह अभी भी स्थिर है. इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए, इसे संरक्षित और पुनर्निर्मित किया जाना चाहिए.' 

तंबाकू की दुकानें

यह इमारत एक समय पर यहूदी व्यवसायी (jewish businessman) सर डेविड एलियास एज्रा के ओनरशिप में थी, जिन्होंने इसे 1897 में दो अमेरिकी डॉक्टरों, एमजेके स्मिथ और बीजेके स्मिथ को किराए पर दिया था. उन्होंने भारत की पहली डेंटल कंपनी यहीं से शुरू की थी. इस भवन में प्रसिद्ध तंबाकू की दुकानें भी हैं, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस और फिल्म निर्माता सत्यजीत रे जैसे प्रसिद्ध लोग आते थे.

असुरक्षित घोषित किया

बिल्डिंग में 22 किराएदार रहते हैं और कई ऐतिहासिक दुकानें हैं जैसे अनादी केबिन, चौरंगी केबिन और इटालियन स्टोर्स प्राइवेट लिमिटेड, जो इस स्थान को और भी खास बनाती हैं. हालांकि, इमारत के बाहरी हिस्से का प्लास्टर उखड़ चुका है और दीवारों पर पौधे उगने लगे हैं, जिससे यह खतरनाक दिखने लगी है. नगर निगम ने इसे दो बार असुरक्षित घोषित किया है. हालांकि, कोलकाता नगर निगम की हेरिटेज कमेटी के सदस्य हिमाद्री गुहा का मानना है कि इस इमारत को संरक्षण की आवश्यकता है और इसे एक ऐतिहासिक धरोहर का दर्जा मिलना चाहिए.