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उत्तराखंड के इन लोगों पर लागू नहीं होगा UCC, जानें क्या है कारण

Uniform Civil Code:  जल्द ही उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो सकता है. बीते दिन धामी सरकार की कैबिनेट ने यूसीसी ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. अब सरकार इसे विधानसभा सत्र में पेश कर सकती है.   

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Gyanendra Tiwari
UCC

UCC: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता कानून (Uniform Civil Code) को लागू करने के लिए तेजी से काम कर रही है. उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने यूसीसी ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. अब इसे कल यानी 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जा सकता है. दरअसल, आज यानी 5 फरवरी से लेकर 8 फरवरी तक उत्तराखंड विधानसभा का सत्र चलेगा. इसी सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड को पेश करके पारित कराया जा सकता है. अगर राज्य में UCC लागू हुआ तो भी प्रदेश के 2,91,903 पर इसका कोई असर नहीं होगा. ऐसा हम नहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी ड्राफ्ट में ये बातें कही गई हैं. 

5 सदस्यीय यूसीसी ड्राफ्ट तैयार करने वाली टीम ने राज्य की पांच अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखने की बात कही है. आइए जानते हैं कि यसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली टीम ने इन जनजातियों पर यूसीसी लागू न करने के पीछे क्या तर्क दिए हैं.

इसलिए इन्हें रखा गया है बाहर

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ड्राफ्ट तैयार करने को गठित 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का मानना है कि राज्य में पाई जाने वाली 5 विशेष अनुसूचित जनजाति समाज की संस्कृति और परंपराओं को सहेज कर रखना उनका संरक्षण करना बहुत ही जरूरी है. कमेटी के सदस्यों ने जनजातीय समाज से यूसीसी के संबंध में सुझाव भी लिए थे. उन्हीं सुझाव के आधार पर यूसीसी ड्राफ्ट कमेटी के सदस्यों ने राज्य की जनजातीय समुदाय को समान नागरिक संहिता से बाहर रखने का सुझाव दिया है.

ये हैं वो 5 अनुसूचित जनजाति

यूसीसी ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी के सदस्यों ने अनुसूचित जनजाति समुदाय की विशिष्ट पहचान, पिछड़ेपन और विभिन्न कारणों से घटती जनसंख्या के कारण यूनिफॉर्म सिविल कोड से बाहर रखने की सिफारिश की है. उत्तराखंड की  बुक्शा , राजी, थारू, भोटिया और जौनसारी जातियों को साल 1967 में अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था. इनमें से बोक्सा और राजी जनजाति अन्य जनजातियों के मुकाबले अति पिछड़ी हैं. बुक्शा एंव राजी अनुसूचित जनजाति समुदाय के विकास के लिए  प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम- जन मन)  में रखा गया है.

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