नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने शनिवार को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलने के लिए लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 राजनैतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस को कठोर शक्तियां इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि यह बिल राजनैतिक विरोधियों को शांत करने के लिए लाया गया है.
'यह विरोधियों को चुप कराने का एजेंडा'
सिब्बल ने एक ट्वीट कर कहा, 'भारतीय न्याय संहिता-2023 राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता है.
उन्होंने कहा कि बीएनएस 15 से 60 या 90 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देता है. राज्य की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए नए अपराध (पुनर्परिभाषित). यह विरोधियों को चुप कराने का एजेंडा है.'
'विरोधियों को हिरासत में ले लेगी पुलिस'
सिब्बल ने कहा कि जहां-जहां बीजेपी सत्ता में है वहां राजनैतिक विरोधियों पर हमले किये जाएंगे और पुलिस व जांच एजेंसियां 60 से 90 दिनों तक उन्हें (विरोधियों को) हिरासत में ले लेंगी, यह एक आपदा की तरह होगा.'
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पेश किए.
इस कानून से अंग्रेजों के जमाने में बने तीनों कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदला जाएगा. शाह ने कहा था कि इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं बल्की लोगों को न्याय देना है.
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