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India Daily

2000 किमी दूर बैठा दुश्मन ...और ट्रिगर दबाते ही खत्म; भारत को मिलेंगे 'किलर' प्रीडेटर ड्रोन

एमक्यू-9बी 'प्रिडेटर' ड्रोन को बनाने वाले कंपनी जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स का दावा है कि ये हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.

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Edited By: Naresh Chaudhary
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India America Deal Buying MQ-9B Predator Drone: सोचिए आप अपने दुश्मन पर 2000 किलोमीटर दूर बैठकर नजर रख रहे हैं. आपने अपने दुश्मन को देखा और टारगेट करके लॉक किया. बस एक ट्रिगर दबाया और लक्ष्य का पलभर में मिसाइलों से खात्मा हो गया. अब ऐसा ही घातक हथियार भारत के पास आने वाला है. दुनिया के सबसे घातक मानव रहित विमान यानी एमक्यू-9बी 'प्रिडेटर' ड्रोन भारत की सेना को मिलने वाला है. 

जानकारी के मुताबिक भारत ने इन प्रीडेटर ड्रोन को खरीदने में रुचि दिखाई थी. करीब छह साल बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर 31 यूएवी की बिक्री को मंजूरी दे दी है. अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी के बाद आने वाले महीनों में एक औपचारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि नौसेना को 31 में से 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जो कि प्रीडेटर का नौसैनिक वर्जन हैं. वहीं वायु सेना और थल सेना को 8-8 स्काई गार्जियन ड्रोन दिए जाएंगे.

भारत ने किराए पर लिए थे दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन

हालांकि, भारत इन किलर ड्रोन का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं है. पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की चीनी सेना के जवानों के साथ झड़प हुई थी, जिसके बाद भारत सरकार ने अमेरिका से एक साल के लिए दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन कॉन्ट्रैक्ट पर लिए थे. ड्रोन का इस्तेमाल हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधि पर नजर रखने के लिए भी किया गया था. बाद में लीज का समय बढ़ाया गया था. भारतीय शस्त्रागार में ड्रोन के साथ सेना आतंकवादी ठिकानों पर रिमोट-नियंत्रित अभियान शुरू करने में सक्षम होगी.

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन क्यों है इतना घातक?

आधुनिक सुविधाओं, स्पीड और मारक क्षमता के अलावा, जो चीज एमक्यू-9बी को सबसे ज्यादा डिमांड वाला ड्रोन बनाती है, वह है इसकी पिन-ड्रॉप साइलेंस के साथ काम करने की क्षमता. यह ड्रोन की एक स्पेशल खूबी है जो इसे बाकी ड्रोन से अलग करती है. ड्रोन लक्ष्य के बिना जमीन से करीब 250 मीटर ऊपर तक उड़ सकता है. दुश्मन को पता भी नहीं चलता कि यहां कोई है भी या नहीं. 

दावा किया जा रहा है कि ये ड्रोन एक वाणिज्यिक विमान से भी ऊंची उड़ान यानी करीब 50,000 फीट तक उड़ सकता है. इसकी अधिकतम स्पीड 275 मील प्रति घंटे या 442 किमी/घंटा है. साथ ही कहा गया है कि ये ड्रोन किसी भी मौसम में लंबे पर जाने के लिए भी सक्षम है. एक प्रीडेटर ड्रोन चार मिसाइलों और करीब 450 किलोग्राम बम समेत करीब 1,700 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है. बिना ईंधन भरे 2,000 मील की यात्रा कर सकता है.

निगरानी और हवाई हमलों के लिए अमेरिका करता है इस्तेमाल

एमक्यू-9बी 'प्रिडेटर' ड्रोन को बनाने वाले जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स के अनुसार ये ड्रोन लगातार उड़ान भर सकता है. अपने लक्ष्य पर 35 घंटे तक मंडरा सकता है. हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अलावा ये हवा से जमीन पर भी हमला करने वाली मिसाइलों को ले जा सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका निगरानी करने, ​खुफिया जानकारी जुटाने और हवाई हमलों के लिए इन्हीं प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल करता है. सी गार्जियन, प्रीडेटर के नौसैनिक संस्करण में 360-डिग्री सतह-खोज समुद्री रडार और सोनोबॉय निगरानी प्रणाली है, जो इसे सतह-विरोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध अभियानों के लिए तैनात करने में सक्षम बनाती है.