Government of India : भारत की अंतरिक्ष यात्राओं में नए युग की शुरुआत करने के लिए बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल की स्थापना को मंजूरी दी.
इस फैसले से भारत की अंतरिक्ष शक्ति को नया मुकाम मिलेगा और भविष्य के अंतरिक्ष अभियान को मजबूती मिलेगी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रक्षेपण स्थल की स्थापना की मंजूरी दी, जिसके लिए 3,985 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है
भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा
भारत की सरकार अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में अपनी मजबूत स्थिति बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है. श्रीहरिकोटा में बन रहा तीसरा प्रक्षेपण स्थल अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने की क्षमता में वृद्धि करेगा. यह प्रक्षेपण स्थल वर्तमान में मौजूद 8,000 टन की क्षमता से बढ़कर 30,000 टन तक वजनी अंतरिक्ष यान भेजने में सक्षम होगा.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रक्षेपण स्थल की स्थापना की मंजूरी दी, जिसके लिए 3,985 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. इसका निर्माण चार साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की महत्वाकांक्षाएं
इस प्रक्षेपण स्थल के साथ-साथ, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) पर भी काम कर रहा है. यह यान 91 मीटर ऊंचा होगा, जो कुतुब मीनार से भी ऊंचा होगा। इसरो ने प्रक्षेपण सुविधा में अधिकतम उद्योग भागीदारी को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है.
राष्ट्रीय क्षमता और भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का विकास
इस प्रक्षेपण स्थल की स्थापना से भारत की उच्च प्रक्षेपण आवृत्तियों और मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियानों को मजबूती मिलेगी. इस कदम से भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार होगा और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ जाएगा.
(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)