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लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, सीएम नीतीश कुमार बोले- 'एक युग का अंत हो गया'

Sharda Sinha Passes Away: पद्म पुरस्कार से सम्मानित बिहार की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं. मंगलवार को दिल्ली एम्स में उन्होंने देर शाम को आखिरी सांस ली.

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Edited By: India Daily Live
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Sharda Sinha Passes Away: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है. 72 वर्ष की आयु में उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. 4 नवंबर को अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. हाल ही में शारदा सिन्हा के पति बृज किशोर सिन्हा का भी देहांत हुआ था, जिससे वह सदमे में थीं. इस दुख के चलते उनकी तबीयत और खराब हो गई थी.

इससे पहले उनके बेटे अंशुमान ने शारदा सिन्हा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव आकर उनकी सेहत का हाल बताया था. उन्होंने कहा था कि उनकी हालत गंभीर है और डॉक्टर पूरी कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने सभी से आग्रह किया था कि उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें और गलत अफवाहें न फैलाएं. अब खबर आई है कि उनका निधन हो गया है.

छठ पूजा के भजनों को किया था पॉपुलर

शारदा सिन्हा बिहार और झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर मानी जाती थीं और उन्होंने अपनी गायकी से लोक संगीत को नई ऊंचाई दी थी. वह खासकर अपनी बिहारी लोक गीतों और छठ पूजा के भजनों के लिए जानी जाती थीं.

बेतिया में हुआ था जन्म
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के बेतिया जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनका संगीत के प्रति रुझान बचपन से ही था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संगीत में प्राप्त की और फिर अपने करियर की शुरुआत बिहार के लोक संगीत से की. उनकी गायकी में एक विशेष मिठास और भावनात्मक गहराई थी, जो श्रोताओं के दिलों में सीधे उतर जाती थी.

 प्रमुख योगदान
शारदा सिन्हा ने अपने करियर में हजारों लोक गीतों और भजनों को अपनी आवाज दी. उनका सबसे प्रसिद्ध गीत "कांची से आई छोरी" था, जिसे आज भी लोगों द्वारा बड़े प्रेम से सुना जाता है. इसके अलावा उनका "छठी मईया के गीत" विशेष रूप से लोक संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन गए थे. उनकी आवाज में एक ऐसी विशेषता थी कि वह छठ पूजा जैसे पारंपरिक पर्वों में गाए जाने वाले गीतों को जीवित रख पाई थीं.

सम्मान और पुरस्कार
शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए थे. उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था. इसके अलावा, उन्होंने बिहार रत्न और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जैसे कई अन्य सम्मान भी प्राप्त किए थे. उनके द्वारा गाए गए गीत न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए थे.

उनका योगदान और विरासत
शारदा सिन्हा का योगदान सिर्फ गायन तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने बिहार और झारखंड की लोक कला और संस्कृति को संजीवनी दी. उनके गीतों में भोजपुरी, मगही, मैथिली और छठ पूजा के भजनों की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. उनका संगीत आज भी लोक संस्कृति के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. उनकी गायकी ने बिहार के लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.

सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक

शारदा सिन्हा के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, "शारदा सिन्हा जी के निधन से एक युग का अंत हो गया है. उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. वह लोक संगीत की धरोहर थीं."