Delhi NCR AQI: सर्दियों की दस्तक के साथ ही राजधानी दिल्ली में एयर क्वालिटी खराब हो चुकी है. दिल्ली में रह रहे लोगों के लिए सांस लेना तक दूभर हो गया है. इसका मुख्य कारण है उत्तर भारत के पांच प्रमुख राज्यों—पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर पराली जलाना. इसके चलते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी (IITM) के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 1 नवंबर को 35.2% तक बढ़ गया, जो 31 अक्टूबर को 27.6% था.
फसल कटाई के बाद खेतों को अगली फसल के लिए तैयार करने के लिए किसान पराली जलाते हैं. पराली जलाने से वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन ऑक्साइड, और अन्य हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं. दिवाली के बाद पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जाती है, जिससे दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब और हरियाणा में वायु AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
दिल्ली में 2 नवंबर को AQI 316 दर्ज किया गया. हवा का यह स्तर अत्यधिक खतरनाक माना जाता है. प्रदूषित हवा का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर होता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, और यह गंभीर श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी उच्च मात्रा में प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों की बीमारी, और दिल की बीमारियां हो सकती हैं.
सैटेलाइट आंकड़ों से पता चलता है कि 5 प्रमुख राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. 2 नवंबर को सैटेलाइट डेटा ने 861 पराली जलाने के मामलों की पहचान की. इनमें पंजाब सबसे आगे है. इसके अलावा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में भी बड़ी संख्या में पराली जलाने के केस सामने आए हैं.