अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में चीन का कनेक्शन सामने आने के बाद सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा में भाजपा के सांसद महेश जेठमलानी ने जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाने वाले कुछ राजनेताओं के चीन के साथ संबंध की सरकार जांच करें. जेठमलानी ने हाल ही में अमेरिकी शार्ट सेलर हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट के पीछे चीन का हाथ बताया था जिसमें अडानी ग्रुप को निशाना बनाया गया था.
बीते शुक्रवार को महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया कि अडाणी ग्रुप के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट का मकसद चीन का बदला था. चीन ने इस ग्रुप के हाथों हाइफा पोर्ट जैसे इंटरनेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट खोने का बदला लेने के इरादे से ये साजिश रची गई थी.
महेश जेठमलानी ने कहा, 'अब जब ये बात सामने आ चुकी है कि अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की साजिश के पीछे चीन का हाथ है, तो भारत सरकार को उन लोगों के साथ चीन के कनेक्शन की जांच करनी चाहिए, जिन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले और बाद में क्रोनी कैपिटलिज्म को लेकर हंगामा किया था'.
इस महीने की शुरुआत में महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया था कि चीन की एक लॉबिस्ट ने अडाणी स्टॉक को कम बेचकर भारी मुनाफा कमाया. जेठमलानी ने 9 जुलाई को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट ने कहा, 'जो फंडिंग पूरी नहीं, उसका खुलासा नहीं किया गया. वो फंडिंग एक मिस्ट्री बनी हुई हैं'. जेठमानी ने अपने पोस्ट में कहा, इसमें कोई शक नहीं कि द चाइना प्रोजेक्ट और इसके संस्थापक अनला चेंग CCCP लॉबिस्ट थीं. अमेरिकी कांग्रेस में उनके पूर्व स्टाफ शैनन वॉन ने भी इसके सबूत दिए हैं. चीनी जासूस आनला चेंग सप चाइना की सीईओ भी रहीं, ये एक प्रो चाइना मीडिया इनिशिएटिव है. उन्होंने अपने पति और अमेरिकी कारोबारी मार्क किंगडन के साथ हिंडनबर्ग को अडाणी ग्रुप पर रिसर्च के लिए हायर किया था.अडानी के शेयरों की शार्ट सेलिंग के लिए एक ट्रेडिंग अकाउंट मुहैया कराने के लिए कोटक की सेवाएं ली गई थी. इससे अडाणी ग्रुप के मार्केट कैप को बुरी तरह चोट पहुंचाई गई.
हिंडनबर्ग मामले में 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने पहले फैसले में अडाणी - हिंडनबर्ग मामले में कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल से इनकार कर दिया था.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, समीक्षा याचिका पर गौर करने के बाद रिकार्ड में कोई खामियां नजर नहीं आती है. सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं है. इसलिए, समीक्षा याचिका खारिज कर दी जाती है.