भारत में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने हैट्रिक लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. आम चुनावो से पहले हुए विधानसभा चुनावों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में बीजेपी की जीत के बाद मोदी मैजिक अभी भी कायम है. 2014 से, बीजेपी की जीत के कई कारण बताए गए हैं. आमतौर पर इसे चार चीजों से जोड़ा जाता है - मोदी की लोकप्रियता, हिंदुत्व का मुद्दा उठाना, बीजेपी का मजबूत संगठन और पैसा. लेकिन अब एक और चीज सामने आई है - महिलाएं.
पूरे भारत में, खासकर "हिंदी हार्टलैंड" में, महिलाएं ज्यादा वोट देने लगी हैं. इससे पार्टियां महिलाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन सभी पार्टियां इसमें सफल नहीं हुई हैं. लेकिन बीजेपी महिला मतदाताओं को अपनी तरफ कर रही है. बीजेपी के साथ महिलाओं की सक्रिय भागीदारी काफी बढ़ी है. राजस्थान चुनाव में ऐसी जगह पर भाजपा ने 50 सीटे जीती हैं जहां महिला वोटरों ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया है.
मध्य प्रदेश में राजनीतिक रूझानों का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि आम तौर पर पुरुषों और महिलाओं, दोनों का ही झुकाव कांग्रेस के बजाय भाजपा की तरफ था. खासकर, महिलाओं में से 43% ने कांग्रेस को वोट दिया जबकि 47% ने भाजपा को समर्थन दिया, जो चार प्रतिशत अंकों का अंतर बताता है.
पूरे देश में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि उज्ज्वला योजना (मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देना) और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए), वहीं दूसरी ओर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) ने संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का वादा किया है.
भारत सरकार में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल लाकर एक बड़ा कदम उठाया था. तीन तलाक को भी महिला मतदाताओं को लुभाने की चाल के रूप में देखा गया था. लेकिन शायद बीजेपी की यही एकमात्र रणनीति नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी आने वाले दिनों में महिला वोटरों को लुभाने के लिए बड़े आउटरीच कार्यक्रम करने का लक्ष्य रखती है, जो 15 मार्च से पहले पूरा हो जाएंगे.
आमतौर पर, लोग समझते हैं कि बीजेपी की सफलता का राज सिर्फ चुनावी वादे और महिलाओं को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं (जैसे उज्ज्वला योजना) की वजह से है. लेकिन भाजपा ने राजनीति के अलावा 'सेवा' को भी अपने मुख्य संदेश का हिस्सा बना लिया है. सेवा सिर्फ दिखावा नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर भी चलती है. महिला मोर्चा जैसी महिला संगठन इसमें सबसे आगे हैं. ये संगठन चिकित्सा शिविर, रक्तदान, सफाई अभियान, वृक्षारोपण और वन्यजीव संरक्षण जैसे कामों को "सेवा" बताकर करती हैं. इन्हें स्थानीय संस्कृति और इतिहास से जोड़ा जाता है, ताकि लोगों से जुड़ाव बनाया जा सके और महिलाओं को पार्टी से जोड़ा जा सके.
महिला वोटरों तक अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए भाजपा का नया हथियार बना है यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता बिल जो उत्तराखंड में सदन में पारित हो गया है. इस बिल में महिलाओं के लिए कई चीजें मौजूद हैं. जैसे कि बहु विवाह पर रोक, पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह नहीं होगा. लिव-इन में रहने वाली महिला गुजारा-भत्ता की हकदार होगी, हलाला और इद्दत पर भई रोक है. यूसीसी लागू होने से आमतौर पर पुरुषों के पक्ष में झुके पर्सनल लॉ में भी एक एकरुपता आ जाएगी, जिसका सीधा फायदा महिलाओं को होगा या सही शब्दों में कहें तो महिलाओं को उनका उचित हक मिलेगा.