Adani Hindenburg Row: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में आरोपों की जांच कर रहे पैनल को दोबारा से गठित करने की मांग की है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्तमान पैनल के तीन सदस्यों में हितों को लेकर आपसी टकराव है इसलिए इस पैनल को दोबारा से गठित किया जाये.
याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देते हुए दावा किया कि विशेषज्ञों के इस पैनल में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट, बैंकर केवी कामथ और वरिष्ठ वकील सोमशेखर सुंदरसेन को शामिल किया जाना उचित नहीं है. इनके बीच हितों के टकराव की संभावना है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ओपी भट्ट वर्तमान में एक प्रमुख रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी ग्रीनको के चेयरमैन के रूप में काम कर रहे हैं यह कंपनी अडानी समूह के साथ साझेदारी में काम कर रही है.
याचिका में दावा किया गया है कि ओप भट्ट पर एसबीआई का चेयरमैन रहते भगोड़े विजय माल्या को लोन देने में कथित तौर पर गड़बड़ी करने के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी.
याचिकाकर्ता ने कहा कि केवी कामथ 1996 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन थे. ICICI बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने इनके खिलाफ FIR दर्ज की थी.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ वकील सुंदरसेन, सेबी बोर्ड सहित अलग-अलग निकायों के समक्ष अडानी समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहे हैं. जयसवाल ने सेबी बोर्ड द्वारा 2007 में पास किये गए आदेश की एक कॉपी भी संलग्न की, जिसमें बताया गया कि सुंदरसेन अडानी समूह के लिए पेश हुए थे.
अनामिका जयसवाल ने कहा कि इन सब बातों से आशंका है कि वर्तमान कमेटी देश के लोगों का भरोसा जगाने में विफल होगी. इसलिए कोर्ट से अपील है कि वह अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए नए पैनल का गठन करे जिसमें वित्त, कानून और शेयर मार्केट से जुड़े साख वाले लोग शामिल हों और जिनके बीच इस मामले की अंतिम रिपोर्ट बनाते समय आपसी हितों को लेकर टकराव न हो.
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