Movie Ticket Tax: देशभर में शाहरुख खान की जवान का क्रेज थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में इस फिल्म ने 700 करोड़ का आकड़ा पार कर लिया है. इसके पहले सनी देओल की गदर 2 ने भी 500 करोड़ के क्लब में शामिल होकर इतिहास रचा था. अगर ध्यान दिया जाए तो कुछ वक्त से फिल्मों के कलेक्शन में इजाफा हुआ है. तो आइये जानते हैं कि इन फिल्मों की कमाई से सरकार की झोली कैसे भरती है.
दरअसल, कोई भी फिल्म जब हिट होती है तो उसके स्टार्स के साथ पूरी टीम की कमाई होती है. ऐसे में शायद ही किसी का ध्यान गया हो कि टैक्स के जरिए सरकार की भी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है. वैसे भी सिनेमा सबसे ज्यादा टैक्सेसन वाले सेक्टर में आता है. ऐसे में इससे सरकार को बड़े पैमाने पर रेवेन्यू कलेक्शन मिलता है.
देश में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट, दोनों तरह के टैक्स सिस्टम हैं. वहीं सबसे ज्यादा टैक्स का कलेक्शन इनडायरेक्ट तरीकों से ही आता है. क्योंकि माचिस की डिब्बी से लेकर मूवी टिकट तक, इनपर टैक्स हम देते ही हैं.
बेहद कम लोग जानते हैं कि PVR, INOX, CINEPOLIS, MIRAZ CINEMA, CINEPLEX जैसी जगहों पर जब वो कोई फिल्म देखने जाते हैं तो उनकी टिकट पर कितना टैक्स लगता है. बता दें कि सभी राज्य में टैक्स का अलग-अलग नियम है. लेकिन हर मूवी टिकट पर टैक्स तो देना ही होता है. इसके अलावा अगर आप टिकट ऑनलाइन बुक करते हैं तो किसी फाउंडेशन के नाम पर एक रुपये प्रति टिकट वसूल लिया जाता है.
सरकार के टैक्स को ऐसे समझिए कि अगर किसी मूवी टिकट की कीमत 100 रुपये है तो उसपर 12 फीसदी GST लग जाता है लेकिन अगर कीमत 100 से ज्यादा है तो फिर 18 फीसदी GST भरना पड़ता है. इसके अलावा हर मूवी टिकट पवर convenience charge के नाम पर 10 फीसदी की वसूली होती है. बता दें कि मूवी टिकट पर जो जीएसटी है, उसका एक हिस्सा सीधा केंद्र सरकार को जाता है और दूसरा हिस्सा राज्य सरकार के पास रहता है. इसका साफ मतलब है कि आपकी हर मूवी टिकट पर मिले टैक्स का केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच बंटवारा कर दिया जाता है.
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