केरल हाई कोर्ट से मंगलवार को केरल सरकार को मलालम फिल्म जगत पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने सिनेमा जगत में यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर चुप्पी साधने पर सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है और सरकार की चुप है. यह ठीक नहीं है. जस्टिस एके जयशंकरन नामबीर और जस्टिस सीएस सुधा ने कहा है कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बताए कि अब तक क्या एक्शन लिए गए हैं. यह SIT, राज्य सरकार ने बनाई है.
जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट साल 2019 में ही सरकार को सौंपी गई थी और इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम राज्य सरकार की निष्क्रियता पर चिंतित हैं. सरकार ने FIR तक नहीं दर्ज की है. आपने सिर्फ इस मामले पर SIT बनाने के अलावा कुछ नहीं किया.'
कोर्ट ने कहा है कि चुप्पी और महिलाओं के प्रति भेदभाव और पक्षपाती रवैया बदलना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा, 'समाज में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए आप क्या कर रहे हैं? इस राज्य में सिर्फ फिल्म उद्योग ही नहीं, हर जगह स्थिति खराब है. महिलाओं की आबादी अधिक है. यह महारे लिए अल्पसंख्यकों का मुद्दा नहीं है. SIT को इन सब पर गौर नहीं करना चाहिए.'
केरल सरकार ने साल 2017 में जस्टिस हेमा कमेटी का गठन किया था. रिपोर्ट 19 अगस्त 2024 को सार्वजनिक हुई. इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़नों का कच्चा-चिट्ठा तैयार किया गया है. जैसे ही ये रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, उन महिलाओं ने भी चुप्पी तोड़ी, जिन्होंने अब तक कुछ नहीं कहा था.
हेमा कमेटी की रिपोर्ट में निर्देशक, प्रूड्यूसर हीरो, सब पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं. रिपोर्ट साफ कहती है कि मलयालम सिनेमा उद्योग में कास्टिंग काउच की खबरें बेहद आम हैं. यौन उत्पीड़न पर पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने 7 सदस्यीय SIT का गठन किया था.
महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़नों को लेकर कोर्ट ने चिंता जताई और कहा कि सुरक्षा के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए. कोर्ट ने कहा, 'पॉश एक्ट, एक कार्य स्थल पर काम कर रहे यौन उत्पीड़न के मामलों से कैसे निपटता है. ऐसी स्थिति में तो पॉश एक्ट नहीं लागू हो पाएगा. अगर मुद्दों को नहीं सुलझाया गया तो सरकार को नए कानूनों पर विचार करना होगा.'
हाई कोर्ट ने सुझाव दिया है कि मध्यस्थता और पंचाट की प्रक्रिया, गैर आपराधिक मामलों में होती है. कुछ मामलों को मध्यस्थता के जरिए सुलझा सकते हैं. हम आपराधिक कानूनों की बात नहीं कर रहे हैं. अगर मेकअप आर्टिस्ट के मामलों में लैंगिक असमानता बरती जाती हो तो वहीं सुलझाया जा सकता है.