Meerut Lok Sabha Seat Election 2024: उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट पर हुए रोचक मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अरुण गोविल जीत गए हैं. सपा की सुनीता वर्मा को कड़ी टक्कर देते हुए अरुण गोविल ने आखिर में 10 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की. एक बार को तो लग रहा था कि वह चुनाव हार जाएंगे लेकिन आखिर में जीत उन्हीं के हाथ आई. अरुण गोविल को कुल 546469 तो सपा की सुनीता वर्मा को 5.35 लाख वोट मिले.
मेरठ लोकसभा सीट पर मुख्य लड़ाई भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार अरुण गोविल और समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार सुनीता वर्मा के बीच है. अरुण गोविल रामानंद सागर कृत रामायाण में राम बनकर घर-घर लोकप्रिय हुए थे. बहुजन समाज पार्टी ने मेरठ से देवव्रत त्यागी को उतारा है. यहां से कुल 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
मेरठ में गन्ना किसानों की एक बड़ी आबादी रहती है. किसानों की मांग है कि उनकी फसलों का सही दाम मिले. रोजगार और विकास भी एक अहम चुनावी मुद्दा है. कुछ गांवों में पानी की किल्लत हो रही है, साफ पानी भी चुनावी मुद्दा है. महंगाई भी बड़ा चुनावी मुद्दा है. मुद्दा सांप्रदायिकता का भी है.
मेरठ लोकसभा सीट पर बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब साढ़े 5 लाख है. वैश्व वोटरों की संख्या 2.25 लाख, ठाकुर 60,000, ब्राह्मण डेढ़ लाख, 1 लाख गुर्जर वोट, ओबीसी और ओबीसी और अन्य जातियों के वोटर 4 लाख हैं. मेरठ में 18,94,000 वोटर हैं, जिनमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर शामिल हैं.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल और बसपा उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी के बीच कांटे की टक्कर थी. राजेन्द्र अग्रवाल को कुल 5,86,184 वोट पड़े थे. यह कुल वोटों का 48.19 प्रतिशत था. सपा प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी को 5,81,455 वोट पड़े थे. उन्हें कुल 47.80 प्रतिशत वोट पड़े थे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां की जीत का अंतर केवल 4,729 वोटों का था. कुल 6,316 वोट नोटा (NOTA) को पड़े थे.
मेरठ लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में वोट पड़े थे. शाह नवाज खान कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े थे. उन्हें 57 और 62 के लोकसभा चुनावों में भी जीत हासिल हुई. महाराज सिंह भारती संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1967 में चुनाव जीते. 1971 में एक बार फिर शाह नवाज खान को जीत मिली. 1977 में सत्ता बदली और कैलाश प्रकाश जनता पार्टी से चुनाव जीते. 1980 और 84 में मोहसिना किदवई चुनाव जीते. ये कांग्रेस पार्टी से थे.
1989 में एक बार फिर जनता दल को मौका मिला. साल 1996 के चुनाव में बीजेपी के अमर पाल सिंह चुने गए. 1998 में भी उन्हें मौका मिला. 1999 में अवतार सिंह भड़ाना कांग्रेस से जीते. 2004 में मोहम्मद शाहिद अखलाक बसपा से चुने गए. 2009 से 2019 तक के लोकसभा चुनावों में राजेंद्र अग्रवाल अजेय बने रहे. वही बार-बार चुने जाते रहे. इस बार उन्हें बीजेपी ने टिकट ही नहीं दिया.