Lok Sabha Elections 2024 : उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट को सपा का गढ़ कहा जाता है. यहां इस बार मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है. बीजेपी ने इस सीट से सिटिंग एमपी घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चुनावी मैदान में उतारा है. इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के सपा से टिकट मिलने पर रामपुर में सपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
इस बार रामपुर में लोकसभा चुनाव काफी रोतक होने वाला है. अब देखना यह है कि रामपुर के लोग मौलवी को संसद में पहुंचाते हैं या फिर कमल खिलता या कोई अन्य उम्मीदवार चुनाव जीतता है. इसके बारे में चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा.
रामपुर को पहले चीनी शोधन और कपास मिलिंग सहित अपने विभिन्न उद्योगों के लिए जाना जाता था. यह अपने रामपुरी चाकू (चाकू) के लिए प्रसिद्ध है. पतंग बनाना रामपुर में एक प्रसिद्ध और प्रमुख उद्योग है. रामपुर में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान का गढ़ रहा है. रामपुर में 52% मुस्लिम आबादी है जबकि 46% हिंदू आबादी है. रामपुर जिला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद डिवीजन में आता है. यह जिला उत्तर में उधम सिंह नगर जिला, पूर्व में बरेली, पश्चिम में मुरादाबाद और दक्षिण में बदायूं जिले से घिरा है. रामपुर लोकसभा सीट के अंदर 5 विधानसभा सीटें (बिलासपुर, रामपुर, चमरव्वा, स्वार और मिलाक) आती हैं, जिसमें 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी को तो 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी.
रामपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां पहले चुनाव (1952) में देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को जीत मिली. मुस्लिम बहुल सीट होने की वजह से यह सीट हमेशा चर्चा में रहती है. यहां से ज्यादातर मौकों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं. यहां अब तक हुए 17 चुनावों में 12 बार मुस्लिम उम्मीदवार विजयी रहे. रामपुर लोकसभा सीट पर 5 चुनावों में ही हिंदू प्रत्याशियों के खाते में जीत गई है.
इस सीट पर पहली बार 1977 के चुनाव में लोक दल के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा हिंदू उम्मीदवार को जीत मिली. दूसरी बार भी राजेंद्र कुमार शर्मा को ही जीत मिली. उन्हें बीजेपी के टिकट पर 1991 में जीत हासिल की. इसके बाद 2004 में सपा की प्रत्याशी तब आजम खान की खास रहीं जयाप्रदा ने जीत हासिल की थीं. वह 2009 के चुनाव में भी विजयी रहीं. हालांकि साल 2014 के चुनाव में देश में चली मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई और डॉ. नेपाल सिंह चुनाव जीते. 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस यहां पर लगातार चुनाव जीतती रही थी. आपातकाल के बाद 1977 में जनता दल के राजेंद्र कुमार शर्मा चुनाव जीते थे. 1980 में कांग्रेस ने रामपुर सीट पर फिर से जीत हासिल की. नवाब खानदान से नाता रखने वाले जुल्फीकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने यहां से 5 बार चुनाव जीते. मिक्की मियां ने 1967 में पहली बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सांसद बने थे. 1971, 1980, 1984 और 1989 में भी वह विजयी रहे थे. 1996 और 1999 में कांग्रेस की प्रत्याशी बेगम नूर बानो को जीत मिली थी.
रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण को देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक आबादी है. इनके बाद लोधी वोटर्स आते हैं. इसी के कारण बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी (घनश्याम) को अपना प्रत्याशी बनाया था जिसका फायदा पार्टी को मिला और वो चुनाव जीत गए. रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 52 फीसदी है. यहां लोधी करीब 2.50 लाख, कुर्मी करीब 40 हजार, दलित करीब 60 हजार, सैनी करीब 70 हजार हैं. इसके अलावा अन्य समाज भी हैं, जिनकी संख्या 10 से 20 हजार के बीच है. इसी तरह मुस्लिम समाज भी करीब दो लाख पठान, 1.50 लाख अंसारी और 1.50 लाख तुर्क हैं.
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