Lok Sabha Elections 2024 : महाभारत के गवाह रहे कुरुक्षेत्र में सियासी रण सज कर तैयार है. राजनीतिक दलों ने यहां आपने-अपने सियासी योद्धाओं को मैदान में उतार दिया है. इस सीट पर करीब-करीब सभी दलों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन ने डॉक्टर सुशील गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं इंडियन नेशनल लोकदल (INLD, इनेलो) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटाला को मैदान में पर उतारा है. कुरुक्षेत्र लोकसभा से डॉ. सुशील गुप्ता और अभय चौटाला मैदान में हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही थी, लेकिन ऐन मौके पर कांग्रेस से आए नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट 1977 अस्तित्व में आई थी. इससे पहले यह कैथल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा. कुरुक्षेत्र जिला अंबाला मंडल का एक भाग है. जिले का निर्माण 1973 में उस समय के करनाल जिले से अलग करके किया गया. कुरुक्षेत्र जिले में चार लोकसभा सीटें हैं. इनमें शाहाबाद, थाणेसर, पेहोवा, लाडवा सीट शामिल है. इनमें 2 पर बीजेपी, एक-एक पर कांग्रेस और जेजेपी का कब्जा है.
कुरुक्षेत्र के जातिगत वोटों के समीरकरण को देखें तो यहां पर ओबीसी समुदाय निर्णायक भूमिका में है. इसके अलावा अलग-अगल जातियों की संख्या और प्रभाव है. कुरुक्षेत्र में जाट समाज की आबादी 14 प्रतिशत के करीब है. वहीं, दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं. ब्राह्मण वोटरों की संख्या लगभग 8 प्रतिशत है. पंजाबी समुदाय के 6 प्रतिशत मतदाता हैं. जबकि अग्रवाल समुदाय के मतदाताओं की संख्या लगभग 5 प्रतिशत है. इसके अलावा 4 प्रतिशत वोटर जट सिख हैं, रोड मतदाता 3 प्रतिशत हैं. राजपूत मतदाताओं की संख्या 1.5% है. अगर सामान्य वर्ग के मतदाताओं की बात करें तो सामान्य वर्ग से संबंध रखने वाले मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 0.5% है. इसी प्रकार ईसाई मतदाताओं की संख्या भी 0.5% है. यहां 8 प्रतिशत मतदाता सैनी समुदाय से हैं. ओबीसी में आने वाले मुस्लिम की बात करें तो इन मतदाताओं की संख्या लगभग 1.7 प्रतिशत है.
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट 1977 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार रघुवीर सिंह विर्क यहां विजयी हुए थे. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 में यह सीट फिर कांग्रेस के खाते में आ गई थी. 1998 से 2004 तक दो बार यह सीट इंडिया नेशनल लोकदल (इनेलो) के खाते में गई. वहीं 2004 में कांग्रेस के उम्मीदवार और उद्योगपति नवीन जिंदल को यहां से जीत मिली. 2009 में उन्होंने फिर से इस सीट से जीत दर्ज की. इसके बाद 2014 में मोदी लहर में बीजेपी के पास यह सीट चली गई.
1977 रघुवीर सिंह विर्क (जनता पार्टी) भारतीय क्रांति दल
1980 मनोहर लाल सैनी जनता पार्टी सेकुलर
1984 सरदार हरपाल सिंह कांग्रेस
1989 गुरदयाल सिंह सैनी जनता दल
1991 सरदार तारा सिंह कांग्रेस
1996 ओपी जिंदल हरियाणा विकास पार्टी
1998 प्रो.कैलाशो सैनी इंडियन नेशनल लोकदल
1999 प्रो.कैलाशो सैनी इंडियन नेशनल लोकदल
2004 नवीन जिंदल कांग्रेस
2009 नवीन जिंदल कांग्रेस
2014 राजकुमार सैनी बीजेपी
2019 नायब सिंह सैनी बीजेपी
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