मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीद धरी की धरी रह गई. उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया है. श्याम रंगीला के नॉमिनेशन फार्म के खारिज होने के पीछे की वजहों के बारे में कहा जा है कि उन्होंने नॉमिनेशन फार्म के साथ शपथ पत्र यानी एफिडेफिट नहीं दिया था. आइए, जानते हैं कि अगर किसी को चुनाव लड़ना हो तो उसके लिए कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स की जरूरत होती है. नॉमिनेशन फार्म कैसे भरा जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या होती है?
किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले शख्स के लिए पहली शर्त ये है कि उसे भारत का नागरिक होना चाहिए. शख्स का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए. ये बिलकुल जरूरी नहीं है कि अगर आप वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहां के वोटर लिस्ट में आपका नाम शामिल हो. आपका नाम देश के किसी भी लोकसभा सीट में आने वाले क्षेत्र में हो सकता है और दूसरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन वे गुजरात के वोटर हैं. वहां के वोटर लिस्ट में पीएम मोदी का नाम दर्ज है. प्रधानमंत्री वाराणसी में भले ही चुनाव लड़ते हैं, लेकिन अपना वोट गुजरात में डालते हैं.
किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार की उम्र 25 साल से अधिक होनी चाहिए. साथ ही उसे मानसिक तौर पर बिलकुल फिट यानी स्वस्थ होना चाहिए.
साल 1996 से पहले एक प्रत्याशी एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकता था, लेकिन 1996 में आपत्तियों के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) में संशोधन किया गया. इसके बाद अब एक प्रत्याशी अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ सकता है. नतीजों में अगर वो दोनों सीट जीत जाता है, तो उसे एक सीट से इस्तीफा देना होता है. खाली हुई सीट पर दोबारा उपचुनाव कराए जाते हैं.
सबसे पहले इच्छुक उम्मीदवार को नॉमिनेशन फार्म खरीदना होता है. इसके बाद फार्म भरने के दौरान जरूरी डॉक्युमेंट्स को अटैच करना होता है. दो गवाहों के साथ शपथ पत्र भी देना होता है. फिर जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस में नॉमिनेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है. किसी जिले के डीएम ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी होते हैं.
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