Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश के सियासी मैदान में बीजेपी और कांग्रेस के बाद अब बहुजन समाज पार्टी कूद पड़ी है. बहुजन समाज पार्टी अब तक 17 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी. बीएसपी नेताओं का दावा है कि जल्द ही बची हुई सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देगी. बीएसपी के इस कदम से 6 से 8 सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. मध्य प्रदेश में बसपा को कोर वोट है, जो पार्टी के नाम पर उम्मीदवार को मिलता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता. पार्टी आगे जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी वहां भी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
उत्तर प्रदेश के सटे जिलों में बीएसपी की पकड़ मजबूत मानी जाती है. यही कारण है की बीएसपी बुंदेलखंड, ग्वालियर और चंबल अंचल में पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरी है. मध्य प्रदेश में बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी चुनावी सभा कर पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करेंगी. बताया जा रहा है कि जल्द ही वो राज्य में अपने प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी रैली करेंगी. हालांकि मायावती के सामने पार्टी और पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में वोटिंग परसेंट बढ़ाने की बड़ी चुनौती है.
मध्य प्रदेश में 2004 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 29 में से 28 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. पार्टी को 4.75 फीसदी वोट मिला था. वहीं 2009 लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें उसे कुल 5.85% वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी ने सभी 29 लोकसभा सीटों चुनाव लड़ते हुए 3.8 फीसदी वोट हांसिल किए थे. वही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने 29 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और वोट फिसदी गिरकर 2.38 फीसदी के स्तर पर आ गया. अब 2024 में एक बार फिर बीएसपी सभी 29 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है.
मध्य प्रदेश की सियासी तासीर समझते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में हैं. मायावती राज्य में अपनी चुनावी प्रचार अभियान का शुभारंभ विंध्य से करने जा रही है. मायावती का 19 अप्रैल को सतना में एक बड़ी चुनावी सभा को करने कार्यक्रम है. इसके बाद वो 28 अप्रैल को चंबल के मुरैना में बीएसपी के पक्ष में माहौल तैयार करेंगी. राज्य के बीएसपी नेताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश में बेरोजगार, अपराध सहित कई मुद्दों पर बहुजन समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ रही है. बीएसपी नेताओं का साफ कहना है कि मध्य प्रदेश में रीवा, सतना और मुरैना सीट पर वे जीत के लिए उतरे हैं.
इधर मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं का दावा है की सूबे में केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच में ही मुख्य रूप से चुनावी जंग है. राज्य में बीएसपी का अब कोई जनाधार नहीं बचा है. लेकिन एमपी कि सियासत में हाथी की बढ़ती सक्रियता को भले ही बीजेपी और कांग्रेस के नेता अंदाज कर रहे हों, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की दलित समाज का एक बड़ा वोट बैंक है और वह काफी हद तक बीएसपी का परंपरागत वोट बैंक है. ऐसे में अगर बीएसपी अनुसूचित जाति की नब्ज पकड़ने में कामयाब हो जाती है तो राज्य बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है.