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India Daily

सुप्रीम कोर्ट से VI, एयरटेल, टाटा टेलीसर्विसेज को झटका, निवेशकों को हुआ भारी नुकसान, 8% तक गिरे शेयर

वोडाफोन आइडिया ने 45,457 करोड़ रुपये के AGR बकाया माफी की मांग की थी, जबकि भारती एयरटेल और उसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम ने 34,745 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Supreme Court rejects plea of ​​VI, Airtel, Tata Teleservices for waiver of dues shares fall by 8 pe

सुप्रीम कोर्ट ने आज वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया माफी की याचिकाओं को खारिज कर दिया. इस फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई.

कोर्ट का सख्त रुख

जस्टिस जे.बी. परदीवाला और आर. महादेवन की बेंच ने इन याचिकाओं को "गलत धारणा पर आधारित" करार दिया. बेंच ने वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से कहा, "हमें इन याचिकाओं से गहरा आश्चर्य हुआ है. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती. हम इसे खारिज करेंगे." कोर्ट ने सरकार के टेलीकॉम कंपनियों की मदद करने के प्रयासों में हस्तक्षेप से भी इनकार किया.

शेयर हुए धड़ाम
19 मई को दोपहर 1:20 बजे, बीएसई पर वोडाफोन आइडिया के शेयर 8% गिरकर 6.76 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे थे. वहीं, इंडस टावर्स के शेयर 3% नीचे 388 रुपये प्रति शेयर पर थे. यह गिरावट निवेशकों के बीच बढ़ती अनिश्चितता को दर्शाती है.

AGR बकाया का विवरण
वोडाफोन आइडिया ने 45,457 करोड़ रुपये के AGR बकाया माफी की मांग की थी, जबकि भारती एयरटेल और उसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम ने 34,745 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी. रोहतगी ने तर्क दिया कि कंपनी का अस्तित्व टेलीकॉम क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "यह याचिका फैसले की समीक्षा नहीं, बल्कि ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज के भुगतान की कठोरता को माफ करने की मांग करती है."

कंपनी की स्थिति
वोडाफोन आइडिया ने याचिका में कहा कि यह भारत की तीन प्रमुख निजी टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं में से एक है और देश के मोबाइल ग्राहकों में इसकी 18% हिस्सेदारी है. कंपनी के पास 20,000 से अधिक कर्मचारी हैं, जो इसके संचालन पर निर्भर हैं. हाल ही में ब्याज बकाया के इक्विटी में परिवर्तन के बाद केंद्र सरकार की कंपनी में 49% हिस्सेदारी है. फिर भी, कंपनी पर स्पेक्ट्रम और AGR के रूप में लगभग 1,19,000 करोड़ रुपये का बकाया है.

सरकार से अपील
कंपनी ने केंद्र सरकार से "निष्पक्ष और जनहित में कार्य करने" और "AGR बकाया पर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज के भुगतान पर जोर न देने" की मांग की. भारती एयरटेल ने भी "न्यायसंगत आधार" पर AGR बकाया में राहत की मांग की थी.

पहले का फैसला
सितंबर 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 93,520 करोड़ रुपये के AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था. 2021 में, कोर्ट ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की गणना में कथित त्रुटियों को ठीक करने की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था.