Shiv Puja: हिंदू धर्म में देवी-देवाताओं के प्रसाद को अमृत के समान माना गया है. भगवान को अर्पित किए गए भोग को पाने के लिए लोग लालाहित रहते हैं, लेकिन शिव पूजा में ऐसा करा वर्जित माना गया है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद कभी भी लेना नहीं चाहिए. इसके साथ ही इसका सेवन भी नहीं करना चाहिए. भगवान शिव को हमेशा सात्विक चीजों का ही भोग लगया जाता है. इसके साथ ही शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा के कई सारे नियम बताए गए है.
भगवान शिव बेहद ही भोले हैं. शिवलिंग और भोलेनाथ की प्रतिमा की पूजा करने के नियम भी भिन्न-भिन्न होते हैं. दोनों पूजा एक प्रकार से नहीं की जाती है. भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा और शिवलिंग को भोग लगाने के भी अलग-अलग नियम होते हैं. अन्य देवी-देवताओं को जो भी भोग अर्पित किया जाता है , वह बाद में भक्तों को बांट दिया जाता है. इस कारण शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को नहीं खाने की सलाह दी जाती है.
शिवपुराण के अनुसार, शिव के मुख से चंण्डेश्वर नामक गण प्रकट हुआ था. चण्डेश्वर भूत-प्रेतों के स्वामी हैं. वे शिव के मुंह खोले जाने से प्रकट हुए थे. इस कारण वे महादेव की भूख के प्रतीक हैं. इस कारण शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद चंडेश्वर स्वामी का होता है. अगर कोई भक्त इस प्रसाद को खाता है तो उसको दरिद्रता, कंगाली का सामना करना पड़ सकता है.
धर्मग्रंथों के अनुसार मिट्टी, पत्थर, चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर अर्पित किए गए प्रसाद को कभी भी नहीं खाना चाहिए. वहीं, मिट्टी से पार्थिव लिंग बनाकर जो प्रसाद चढ़ाया जाता है. उसे आपको बहती जल में प्रवाहित कर देना चाहिए. इसके साथ ही भोलेनाथ की साकार मूर्ति पर अर्पित किया गया भोग आप खा सकते हैं.
धातु जैसे कि चांदी, तांबा या फिर पीतल से बने शिवलिंग की पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को खाने पर दोष नहीं होता है. शिवपुराण के अनुसार इस प्रसाद को खाने से अनगिनत पापों का नाश हो जाता है. इसके साथ ही पारद शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को भी खाया जा सकता है और उसे आप घर भी ले जा सकते हैं. इसमें भी किसी प्रकार का कोई दोष नहीं होता है. अगर घर में शिवलिंग के साथ ही शालिग्राम भी स्थापित हों तो दोष समाप्त हो जाता है और शालिग्राम के साथ शिवलिंग का पूजन करके आप उस प्रसााद को ग्रहण कर सकते हैं.
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