नई दिल्ली. SAWAN SHIVRATRI 2023: सावन का महीना शुरू हो गया. इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है. विधि-विधान से पूजा पाठ करने पर भोलेबाबा की कृपा बरसती है. सावन के कुछ तिथियों का काफी महत्व होता है. सावन में पड़ने वाले सोमवार और शिवरात्रि का काफी महत्व होता है. शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन इस बार सावन की शिवरात्रि कब है? आज हम इसी के बारे में चर्चा करेंगे.
कब है सावन शिवरात्रि
सोशल मीडिया पर शिवरात्रि को लेकर 2 तारीखों के बारें में खूब बात हो रही है. कोई कह रहा है कि 14 जुलाई को है तो कोई कह रहा है 15 जुलाई को. लेकिन अगर हम वैदिक पंचांग की बात करें तो इस बार यह 15 जुलाई पड़ेगी.
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सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 15 जुलाई रात्रि 08 बजकर 32 मिनट से लेकर 16 जुलाई को रात के 10 बजकर 08 मिनट तक है. इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन की शिवरात्रि में प्रथम प्रहर की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 20 मिनट से लेकर कात 9 बजकर 53 मिनट तक है. द्वितीय प्रहर के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 53 मिनट से लेकर माध्यरात्रि 12 बजकर 26 मिनट तक हैं. जबकि, तृतीय प्रहर की पूजा रात 12 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह के 3 बजे तक है. और सुबह 3 बजे से लेकर सुबह 5 बजकर 32 मिनट तक पूजा करने का शुभ मुहूर्त है.
पूजा सामग्री
सावन की शिवरात्रि में पूजन सामाग्री में निम्नवत चीजों को शामिल किय जा सकता है. जैसे -
इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, आदि.
पूजा करने की विधि
इस दिन भगवान शिव की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. स्नान ध्यान करके साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में अपने घर में बने मंदिर या फिर आसपस किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें. जलाभिषेक के बाद अगर मंदिर में पडिंत जी हैं उनके कहे अनुसार आपने जो पूजा सामाग्री है उसे शिव जी को चढ़ाएं. अगर गाय का दूध मिल जाता है तो उससे भगवान का रुद्रभिषेक करें. इसके बाद भोग के लिए आप जो भी लाए हैं उसे चढ़ाएं. भगवान शिव के साथ माता गौरी की भी पूजा अवश्य करें. क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान शंकर और माता गौरी का विवाह हुआ था.
पूजा के दौरान आप शिव मंत्रों का जाप अवश्य करें. जैसे-
➤ओम नम: शिवाय
➤ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: ओम स: जूं हौं ओम॥
➤कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
पूजा के दौरान आप ऊपर लिखे मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
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