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भाद्रपद की अमावस्या पर कर लें ये काम, जीवन से इन दोषों का हो जाएगा काम तमाम

हिंदू धर्म में अमावस्या का काफी अधिक महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने मनोकामना पूर्ण होती है.

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Mohit Tiwari
Last Updated : 12 September 2023, 08:17 AM IST
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नई दिल्ली. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि काफी खास होती है. हर माह में एक बार अमावस्या तिथि आती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है. अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करना भी काफी महत्वपूर्ण होता है. नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत भी रखती हैं.

कब है भाद्रपद मास की अमावस्या?

भाद्रपद माह के कष्ण की अमावस्या 14 सितंबर को है. 14 सितंबर को सुबह 04:48 पर शुरू होगी और यह 15 सितंबर की सुबह 07:09 तक रहेगी.

ऐसे करें पूजन

1- अमावस्या के दिन जल्दी सोकर उठें. इसके बाद स्नान करें. इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का अधिक महत्व होता है. अगर आप कहीं नहीं जा पा रहे हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.

2- स्नान के बाद मंदिर में दीप जलाएं. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें.

3- इस दिन आप उपवास भी रख सकते हैं.

4- इस दिन पितरों से संबंधित कार्य जैसे तर्पण और दान आदि करें.

5- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक बार ध्यान करें.

6- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके साथ शिव का भी पूजन करें.

इन दोषों से मिलेगी मुक्ति

अमावस्या पर कुछ आसान से उपाय करके कालसर्प और पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है.

कालसर्प दोष- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में जब राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है. कालसर्प दोष की वजह से मनुष्य को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

उपाय- भाद्रपद माह की अमावस्या के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन करें. इस दिन गंगा जल से श्रीहरि विष्णु का अभिषेक करें. इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और आरती करें. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.

पितृदोष- ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य, राहु या शनि के साथ युति बनाएं तो पितृदोष लगता है. सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु, शनि के साथ युति होने पर पितृ का प्रभाव होता है. इसके साथ ही लग्नेष का छठवें, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृदोष लगता है. पितृदोष की वजह से व्यक्ति जीवनभर परेशानियों से जूझता है.

उपाय- पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या के दिन पितरों से संबंधित कार्य करने चाहिए. पितरों का स्मरण कर पिंडदान करें और अपनी गलतियों की माफी मांगें. इस पितृदोष से राहत मिलती है.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.