नई दिल्ली. हिंदू धर्म में सावन के महीने को काफी पवित्र माना जाता है, इस माह में भगवान शिव और पार्वती की पूजा का विशेष महत्व हो ता है. वैसे तो पूरे सावन भर व्रत का विधान होता है, लेकिन अगर आप सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं तो ये भी काफी फलदायी होता है. इस कारण लोग सावन भर सोमवार का व्रत रखते हैं. जिस तरह सावन का सोमवार काफी महत्वपूर्ण होता है, उसी प्रकार इस माह का मंगलवार भी काफी महत्व रखता है.
रखा जाता है मंगला गौरी व्रत
सावन के प्रत्येक मंगलवार को लोग मंगला गौरी व्रत रखते हैं. मंगला गौरी व्रत को शास्त्रों में काफी महत्वपूर्ण माना गया है. इस व्रत को महिलाएं अच्छे वैवाहिक जीवन की कामना के लिए भी रखती हैं. वहीं, जानकारों की मानें तो कुंवारे लोग अगर इस व्रत को करते हैं तो उनकी शादी के योग बनने लगते हैं. साल 2023 में पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को था, वहीं दूसरा व्रत 11 जुलाई को होगा.
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ऐसे करें व्रत की पूजा
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद लकड़ी की चौकी सजाकर उसपर लाल कपड़ा बिछा लें. इसके ऊपर चावल से नौ ग्रह और गेहूं से सोलह देवियां बना लें. इसके बाद थाली के एक तरफ चावल और दूसरी ओर दूसरी ओर पानी से भरा कलश,फूल आदि रखकर स्थापित करें. अब माता पार्वती का साज-श्रृंगार करके उनके समक्ष पूजा में मेवे, लौंग, सुपारी, नारियल, इलायची और मिष्ठान चढ़ाएं. इसके बाद मां की कथा और आरती करें.
यह हैं मंगला गौरी व्रत की कथा
इस पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में धर्मपाल नामक व्यापारी रहता था. इस व्यापारी की एक पत्नी थी और घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी. हालांकि, व्यापारी के कोई संतान नहीं थी, जिससे वह अक्सर ही दुखी रहता था. कुछ समय बाद व्यापारी के घर पुत्र हुआ लेकिन उसकी अल्पायु थी और भविष्यवाणी की गई कि 16 वर्ष का होने पर सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी.
माना जाता है कि व्यापारी के पुत्र का 16 वर्ष आयु होने से पहले ही विवाह हो गया था, विवाह के बाद उसकी पत्नी माता मंगला गौरी का व्रत किया करती थी. मंगला गौरी व्रत करने पर उसे पति की लंबी आयु का वरदान मिला और उसके पति की मृत्यु नहीं हुई. मान्यतानुसार मां गौरी के अंखड सौभाग्यवती वरदान के कारण ही व्यापारी के बेटे की आयु 100 वर्ष तक हुई और वह जीवनभर अपने परिवार के साथ सुखी रहा.
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