नई दिल्ली: सावन के महीने में मंगला गौरी के व्रत को बहुत ही खास माना जाता है. अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखा जाता है. मंगला गौरी का यह व्रत सावन महीने में प्रथम मंगलवार से शुरू होता है. यह व्रत माता पार्वती की कृपा पाने का मौका प्रदान करता है. जिस तरह से सोमवार का व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है ठीक उसी तरह सावन महीने का सभी मंगलवार को माता पार्वती की अराधना करने के लिए मंगल गौरी का व्रत रखा जाता है. इस दिन मां मंगला गौरी की पूजा की जाती है। मां मंगला गौरी को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप के नाम से भी जाना जाता है. तो आईए इस व्रत और पूजा विधि के बारे में जानते हैं.
जानें क्या है व्रत शुभ मुहूर्त
माता पार्वती की अराधना करने के लिए मंगल गौरी व्रत का 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 40 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. वहीं सुबह 5 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 4 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. यानी की माता पार्वती की अराधना के लिए ये तीनों समय शुभ हैं.
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जानें मंगला गौरी पूजन की विधि
इस व्रत के दौरान भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में सबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनकर माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए. इस व्रत के दौरान भक्तों को 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत के दौरान भक्तों को एक ही समय अन्न ग्रहण करना चाहिए.
क्या है इस व्रत का महत्व
मंगला गौरी के इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि और जीवन में खुशहाली बढ़ जाती है. पूरे सावन में मंगला गौरी की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है. असंतान से जुड़ी परेशानियों के लिए भी ये व्रत फायदेमंद माना जाता है. यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इसलिए विवाहित महिलाएं सावन में इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं और मां मंगला गौरी की पूजा करती हैं. इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है.
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